हार्वर्ड में सम्मान और भारत में जेल
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कल हार्वर्ड लॉ स्कूल ने सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुधा भारद्वाज को सम्मानित किया. हार्वर्ड लॉ स्कूल ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘परिवर्तन को प्रोत्साहित करने वाली’ 21 महिलाओं की श्रेणी में उन्हें जगह दी. स्कूल के शिक्षक और छात्र ‘कानून और नीति’ जैसे क्षेत्रों में योगदान के लिए हर वर्ष कुछ महिलाओं को नामित करते हैं.
फिलहाल सुधा भारद्वाज भीमा-कोरेगांव मामले में पुणे की जेल में बंद हैं. उन पर माओवादियों से संबंध का आरोप है. सुधा भारद्वाज के अलावा जो 20 नाम इस सूची में शामिल हैं उनमें न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और भारत में सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को कानूनी दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली मेनका गुरुस्वामी शामिल हैं. इससे पहले किसी भी भारतीय को इस सूची में जगह नहीं मिली थी.
यह सूची कितनी प्रतिष्ठित रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि इसमें इससे पहले अमेरिका में राष्ट्रपति पद की उमीदवार रहीं हिलेरी क्लिंटन और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू जैसे नाम शामिल रहे हैं.
अमेरिका में पैदा हुईं और बाद में भारत की नागरिकता लेनी वालीं भारद्वाज भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी होने से पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अधिवक्ता थीं. उनकी पहचान मानवाधिकारों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता, जुझारू ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता की भी है. वे करीब तीन दशकों से छतीसगढ़ में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रही हैं.