आईआईटी के एमटेक पाठ्यक्रम का शुल्क 10 गुना बढ़ा दिया गया है. इसे 20,000 रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर दिया गया है. फीस की बढ़ी हुई दर अगले सत्र 2020 से लागू होगी.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अब पढ़ाई में कमजोर अपने छात्रों को इंजीनियरिंग छोड़कर तीन साल बाद बीएससी की डिग्री लेने की अनुमति दे सकेगा. इस नए विकल्प के आने के बाद इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए आईआईटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को अब अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर नए सिरे से स्नातक शुरू करने की जरुरत नहीं होगी.
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद की बैठक में 27 सितंबर को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में आईआईटी में एमटेक के लिए 20,000 रुपये से 50,000 रुपये सालाना शुल्क लगता है. जबकि एक साल में आईआईटी में एमटेक के लिए प्रति छात्र सात लाख रुपये का खर्च आता है.
इसके साथ ही 23 आईआईटी की शीर्ष निर्णय निकाय ने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग(गेट) के तहत एमटेक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों को मिलने वाली हर महीने 12,400 रुपये की छात्रवृत्ति को खत्म कर दिया है. अखबार द मिंट ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि साल 2019 में 12,000 छात्रों ने गेट के तहत आईआईटी में एमटेक पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया.
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आईआईटी की आंतरिक कमिटी ने सभी आईआईटी में एमटेक पाठ्यक्रम के लिए एकसमान फीस रखने की सलाह दी है.
कमिटी ने फीस वृद्धि से हुई आमदनी का आधा हिस्सा शिक्षण में मदद करने के इच्छुक एमटेक छात्रों पर खर्च करने और पांच साल के पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले शीर्ष एक परसेंटाइल छात्रों को पांच साल तक छात्रवृत्ति देने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही एमटेक के लिए उद्योगों से स्पॉन्सरशिप की व्यवस्था बनाने की बात कही गई है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पढ़ाई में कमजोर ऐसे छात्र जो अगले सेमेस्टर में प्रवेश के लिए जरूरी क्रेडिट (अंक) पाने में सफल नहीं होते उन्हें दूसरे सेमेस्टर के बाद डिग्री पाठ्यक्रम के माध्यम से इंजीनियरिंग छोड़ने का विकल्प दिया जा सकता है. बजाय संस्थान छोड़कर जाने के.
अधिकारी ने कहा, ‘‘इस संबंध में फैसला सभी आईआईटी अपने अनुसार लेंगे.’’
अभी तक आईआईटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को बी टेक की डिग्री पाने के लिए आठ सेमेस्टर (चार साल) की पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है.
अधिकारी ने बताया, ‘‘अब पढ़ाई में कमजोर छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद बीएससी डिग्री चुनने और तीन साल बाद संस्थान छोड़ने का विकल्प होगा. बशर्ते अगर वह पढ़ाई के न्यूनतम मानदंडों को पूरा करते हैं.’’
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की ओर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में 23 संस्थानों के स्नातक और परास्नातक पाठ्क्रमों के 2,461 छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ी है.