2.2 अरब लोगों के पास नहीं है पीने का साफ पानी: संयुक्त राष्ट्र
विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्लूऐचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 2.2 अरब लोगों के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है. वहीं 4.2 अरब लोग गंदगी भरे माहौल में रहने के लिए अभिशप्त हैं. इसके साथ तीन अरब लोग ऐसे हैं जिनके पास पर्याप्त तरीके से हाथ धोने तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
‘जल स्वच्छता और साफ-सफाई पर प्रगति 2000-2017’ की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर असमानताओं पर विशेष ध्यान खींचते हुए यह बात कही गई है कि सन 2000 से लेकर आज तक 1.8 अरब लोगों के पास पानी पीने की बुनियादी सुविधा पहुंची है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और पहुंच में भारी असमानता है.
यूनीसेफ में जल स्वच्छता और साफ-सफाई के सहयोगी निदेशक केली एन नेलोर ने कहा, “सिर्फ पहुंच ही काफी नहीं है. अगर पानी साफ नहीं है तो वह पीने के लायक भी नहीं होगा. अगर शौचालय की सुविधा असुरक्षित और सीमित है तो हम दुनिया के बच्चों के लिए भलाई का काम नहीं कर रहे हैं.”
केली एन नेलोर ने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा जोखिम गांवों के गरीब बच्चों और उनके परिवार पर होता है क्योंकि इन मामलों में वही लोग पीछे छूट जाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी की शुरुआत में खुले में शौच करने वाली आबादी का आधे से भी कम हिस्सा ही अब ऐसा कर रहा है. पहले जहां 21 फीसदी आबादी ऐसा कर रही थी, वहीं अब यह संख्या घटकर 9 प्रतिशत ही रह गई है. लेकिन अभी भी घनी आबादी वाले देशों में तकरीबन 637 करोड़ लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं.
रिपोर्ट बताती है कि हर साल लगभग 297,000 बच्चों की मौत पांच साल की उम्र के भीतर दस्त की वजह से हो जाती है. इसकी सबसे बड़ी वजह साफ पानी और साफ-सफाई की व्यवस्था का उपलब्ध ना होना है.
केली एन नेलोर के मुताबिक इस ओर सुधार के लिए सरकारों की तरफ से बड़े स्तर पर प्रयास होने चाहिए.