मुआवजे के मामले में निजी विमान कंपनियों से बेहतर है एयर इंडिया
सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया खराब सेवा को लेकर अक्सर यात्रियों के निशाने पर रहती है. लेकिन उड़ान रद्द होने अथवा विलम्ब के मामले में निजी विमान कंपनियों का रिकॉर्ड कहीं ज़्यादा खराब है. इतना ही नहीं, इस सेवा दोष के लिए एयर इंडिया ने यात्रियों को सर्वाधिक मुआवज़ा दिया है.
पिछले तीन वर्षों में कुल 23,491 उड़ानें रद्द हुई हैं. इसमें एयर इंडिया की 5,349 जबकि पहले नंबर पर देश की सबसे बड़ी निजी घरेलू विमान कंपनी इंडिगो रही. जिसकी 7349 उड़ानें रद्द हुई. इसके बावजूद एयर इंडिया ने यात्रियों को 5.79 करोड़ का तो इंडिगो ने सिर्फ 12.32 लाख रुपये का क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किया.
जनवरी 2016 से दिसंबर 2018 की इसी अवधि में 275516 उड़ानों में विलम्ब हुआ. 81515 उड़ानों के साथ इंडिगो एक बार फिर पहले नंबर पर थी जबकि 74149 उड़ानों के साथ जेट एयरवेज और जेट लाइट दूसरे नंबर पर रही. वहीं तीसरे नंबर पर एयर इंडिया की तुलनात्मक रूप से बेहद कम 45313 उड़ानें विलम्ब से चलीं.
हैरानी की बात ये है कि इंडिगो ने उड़ानों में देरी के लिए एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया. जेट ने एक वर्ष 2016 में ई भुगतान नहीं किया लेकिन 2017 एवं 2018 में क्रमशः 2. 97 तथा 3. 73 लाख रुपयों का ही भुगतान किया. इनके विपरीत एयर इंडिया ने तीनो साल मिलाकर 18.59 करोड़ का हर्जाना भुगता.
राज्य सभा में दी गई जानकारी के अनुसार उड़ानों के विलम्ब से चलने के कारण सबसे ज़्यादा संख्या में इंडिगो के यात्री प्रभावित हुए. एक सवाल के जवाब मे दी गई इस जानकारी के मुताबिक विलम्ब से चलने वाली उड़ानों की संख्या 2016 में 81,393 से बढ़कर 2018 में 97,393 हो गई. इस समय अवधि में उड़ान रद्द होने से प्रभावित यात्रियों की संख्या 996545 से बढ़कर 1683309 हो गई.