डाटा और एनालिटिक्स क्षेत्र में 97 हजार पद खाली


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भारत में सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम के बावजूद सक्षम पेशेवरों की भारी कमी है. सरकार ने डिजिटल समाज और सूचना आधारित अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े वादे किए हैं. लेकिन देश के युवाओं को डाटा और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध होने के बावजूद डिजिटल  ज्ञान की कमी की वजह से नौकरी नहीं मिल रही है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, डाटा और एनालिटिक्स के क्षेत्र में रोजगार की संभावना 45 फीसदी बढ़ी है. लेकिन ऐसे सक्षम पेशेवर नहीं मिल पा रहे हैं जो भर्ती किए जा सकें.

डाटा एनालिटिक्स पर काम करने वाली एक कंपनी ग्रेट लर्निंग ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि भारत में डाटा और एनालिटिक्स से जुड़ी 97 हजार नौकरियां खाली पड़ी हैं. इसकी वजह इस क्षेत्र में बेहतर प्रतिभा की कमी रही है. यह पिछले साल के रोजगार अवसर के मुकाबले के करीब 45 फीसदी है.

ग्रेट लर्निंग ने अध्ययन के लिए बड़े शहरों की करीब एक सौ कंपनी और एक हजार पेशेवर लोगों का चयन किया था. इसका मकसद इस क्षेत्र में रोजगार, वेतन, कौशल और ट्रेनिंग जैसे तथ्यों का पता लगाना था.

कंपनी सह-संस्थापक हरिकृष्ण नायर मानते हैं कि सिर्फ एक साल के भीतर ही इस क्षेत्र में 45 फीसदी रोजगार अवसर बढ़े हैं. इसकी वजह कंपनियों की डाटा पर निर्भरता है. पिछले कुछ सालों में कई बड़ी  कंपनियों को अपनी सुरक्षा के लिए डाटा एनालिटिक्स जैसे विशेषज्ञ रखने पड़े हैं.

ग्रेट लर्निंग की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि इस क्षेत्र में रोजगार के मौके उनके लिए ज्यादा हैं  जिनके पास करीब पांच साल का अनुभव है. फ्रेशर्स के लिए भी पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 21 फीसदी जॉब अवसर हैं. वहीं, पांच साल से ज्यादा का अनुभव रखने वालों के लिए 31 फीसदी तक अवसर मौजूद हैं.

बेंगलुरू डाटा एनालिटिक्स में केन्द्रीय भूमिका निभा रहा है. अकेले बेंगलुरू में ही रोजगार के 24 फीसदी मौके हैं. हालांकि दिल्ली, मुबंई और चेन्नई में भी इजाफा देखने को मिला है. दिल्ली-एनसीआर में 22 फीसदी, मुंबई में 15 और चेन्नई में 7 फीसदी रोजगार हैं.

डाटा एनालिटिक्स से जुड़े पेशेवरों के लिए ई-कॉमर्स में 12, फार्मा में 13, ऑटोमोबाइल में 6 फीसदी और बैंकिंग में 38 फीसदी तक रोजगार हैं. वहीं टेलीकॉम क्षेत्र में भी इस तरह की नौकरियों में भारी गिरावट देखने को मिली है. पहले जहां इस क्षेत्र में 8 फीसदी तक नौकरियां थी, अब यह सिमट कर 4 फीसदी तक आ गई है.


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