विशेषाधिकार प्राप्त दूसरे 11 राज्य क्यों हैं चिंतित?
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को हटा देने के बाद इसी प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त राज्यों में तनाव का माहौल है. मिजोरम के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के इस कदम को विशेषाधिकार प्राप्त राज्यों मिजोरम और नगालैंड के लिए रेड अलर्ट बताया है.
जम्मू-कश्मीर के अलावा 11 अलग राज्यों को अलग-अलग मुद्दों के आधार पर विशेषाधिकार प्राप्त हैं. इन मुद्दों में जमीन बिक्री, आदिवासी इलाकों का संरक्षण, वन प्रबंधन, संपत्ति का उत्तराधिकार इत्यादि शामिल हैं.
केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को बिना किसी संवैधानिक संशोधन के हटाया है. ऐसा करने के लिए सरकार को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत और राज्य के राज्यपाल की सहमति की जरूरत होती.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्ण ने बताया, “यह कदम एक खतरनाक उदाहरण स्थापित करता है. दूसरे राज्यों में ऐसा करने से उन्हें रोकने के लिए कुछ भी नहीं है. इस कदम की वैधानिकता को लेकर उठे प्रश्नों पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय लेगा.”
अजीम प्रेमजी यूनीवर्सिटी में कानून और राजनीति के प्रोफेसर सुधीर कृष्णस्वामी ने कहा, “हालांकि, 11 राज्यों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, लेकिन इन विशेषाधिकारों के बीच धर्म, जाति और भूगोल के आधार पर कोई संबंध नहीं है.”
लंदन के किंग्स कॉलेज में ग्लोबल अफेयर्स के प्रोफेसर लुईस टिलिन ने लिखा, “जबकि इन विशेषाधिकारों में ज्यादातर राजनीतिक सौदेबाजी का परिणाम हैं, इनमें से कुछ तबसे प्राप्त हैं जब इन राज्यों का विलय भारत में हुआ.”
उन्होंने आगे लिखा, “इनमें से ज्यादातर प्रावधानों को आर्थिक रुप से अविकसित क्षेत्रों और लोकतंत्र के लिए ना तैयार अतिसंवेदनशील जनसंख्या को शोषण से बचाने के लिए लागू किया गया. हालांकि, ये सभी प्रावधान अस्थाई हैं.”
इन प्रावधानों में से एक संविधान की पांचवी अनुसूची भी है. यह उत्तर-पूर्व से इतर ज्यादातर आदिवासियों इलाकों में लागू है. यह प्रावधान राज्य के राज्यपाल को अधिकार देता है कि वो यह घोषणा कर सके कि कुछ निश्चित इलाके क्षेत्र में लागू नहीं होते हैं. इसके साथ ही राज्यपाल को यह अधिकार भी होता है कि वो वंचित माने गए आदिवासियों की जमीन की खरीद-बेच को नियमित कर सके.
वहीं संविधान की छठवीं अनुसूचि के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों की स्वायत्त जिला परिषदों को जमीन के प्रयोग, वन प्रबंधन, संपत्ति के उत्तराधिकार, शादी और दूसरे सामाजिक प्रथाओं पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है.
कर्नाटक में हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास के लिए विशेष प्रावधान बना. इसके तहत इस क्षेत्र से आने वाले लोगों को राज्य सरकार की सरकारी नौकरियों और सार्वजनिक शिक्षा में आनुपातिक आरक्षण दिया गया.
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को अचानक से खत्म कर देने के कदम ने इन राज्यों में यह डर पैदा कर दिया है कि अनुच्छेद 370 की ही तरह अनुच्छेद 371 को हटाकर उनके विशेषाधिकार छीने जा सकते हैं.
अनुच्छेद 370 पर लोकसभा में हुई बहस के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा था, “आज जब आप अनुच्छेद 370 को हटा रहे हैं तो आप उनराज्यों को क्या संदेश भेज रहे हो, जिन्हें विशेषाधिकार प्राप्त हैं? आप अनुच्छेद 371 को भी हटा दोगे?”