‘हाउडी मोदी’ में डोनल्ड ट्रंप!
यह सचमुच नरेंद्र मोदी और अमेरिका के ह्यूस्टन में उनके स्वागत में कार्यक्रम का आयोजन कर रहे उनके समर्थकों की बड़ी कामयाबी है. किसी विदेश नेता के स्वागत में हो रहे प्राइवेट समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति भाग लें, यह घटना है. यह अनुमान सही है कि इसका प्रभाव व्यापक और दूरगामी हो सकता है. कम-से-कम भारत की घरेलू राजनीति और पास-पड़ोस के मनोविज्ञान पर तो इसका असर तुरंत महसूस किया जाएगा.
बेशक, ट्रंप के ‘हाउडी मोदी’ समारोह में जाने को मोदी सरकार कश्मीर संबंधी हालिया फैसलों पर ह्वाइट हाउस की मुहर के रूप में देखा जाएगा. इसके पहले ट्रंप ने कश्मीर विवाद पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी. उन्होंने ये बयान भी दिया था कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के रिश्ते अच्छे नहीं हैं. इन बयानों को भारत के अंदरूनी मामलों में उनका दखल माना गया. लेकिन बाद में उनका रुख बदला. फ्रांस में जी-7 शिखर बैठक के दौरान ही यह जाहिर हो गया था. अब उन्होंने ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में जाने का फैसला कर यह संदेश दिया है कि कश्मीर जैसे मसलों से वे प्रभावित नहीं हैं.
जब कश्मीर मुद्दे को ट्रंप ने हिंदू-मुस्लिम के संदर्भ में देखा था तो अमेरिका की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रगतिशील धड़े ने उसकी कड़ी आलोचना की थी. कहा था कि ‘कश्मीर लोगों की स्वायतत्ता की आकांक्षा और मानवाधिकारों’ से जुड़ा मुद्दा है, जिसकी ट्रंप उपेक्षा कर रहे हैं.
बहरहाल, इसमें कोई हैरत की बात नहीं है. राजनीतिक अधिकार या मानवाधिकार जैसी आधुनिक धारणाएं कहीं और किसी संदर्भ में ट्रंप के लिए चिंता का विषय नहीं रहती हैं. उन्होंने ‘अमेरिका को फिर से महान’ बनाने जैसे भ्रामक नारे के साथ पिछला चुनाव जीता था. राष्ट्रपति बनने के बाद देश में उन्होंने सामाजिक ध्रुवीकरण को आगे बढ़ाया है. आलोचकों का कहना है कि उनकी सियासत श्वेत वर्चस्ववाद की है.
ट्रंप ने अपनी इस सियासत से अमेरिका में गहरा सामाजिक विभाजन पैदा किया है. माना जाता है कि इस सियासत को आगे बढ़ाते हुए ही वे 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं. दूसरी तरफ ये साफ है कि डेमोक्रेटिक पार्टी अधिक लोकतांत्रिक एजेंडे के साथ मैदान में उतरेगी. उस पर लोग कितना यकीन करेंगे, यह काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रत्याशी कौन होता है. बहरहाल, ट्रंप अपनी रणनीति में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते. इसके बीच अमेरिका में रहने वाले भारतीय मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने की उनकी मंशा को समझा जा सकता है.
माना यही जाएगा कि इस मकसद से ट्रंप ने ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में जाने का फैसला किया है. इससे उन्हें कितना लाभ होगा, अभी कहना मुश्किल है. बहरहाल, उनके फैसले से मोदी की अमेरिका यात्रा का प्रोफाइल बढ़ा है. इससे मोदी की वैश्विक छवि और भारत में अपने समर्थकों के बीच उनकी हैसियत मजबूत होगी, यह निर्विवाद है.