आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी अर्थव्यवस्था के लिए घातक
वर्तमान चालू खाते घाटे को नियंत्रित करने के लिए सरकार के अनेक उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह चेतावनी उत्कृष्ट अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने दी है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अरविंद पनगड़िया ने जहां एक ओर आयात शुल्क बढ़ाने को लेकर सरकार को चेताया है, वहीं दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गए रुपये को वापस से पटरी पर लाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उसकी अस्थिरता को कड़े ढंग की बजाए हल्के तरीके से प्रबंधित करने के लिए उनकी सराहना भी की है.
वहीं पनगढ़िया ने यह सलाह भी दी है कि भारत को व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक भागीदारियों जैसे मुक्त व्यापार समझौतों पर मोलभाव करते समय सभी के लिए कुशल पेशेवरों के आदान-प्रदान में और अधिक सहूलियत दिए जाने की मांग करने की जरूरत नहीं है. इसकी जगह अपने लिए घरेलू सामान के व्यापार में बढ़ोत्तरी संबंधित सबसे अच्छे समझौते स्थापित करना अधिक उपयुक्त होना चाहिए.
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और दूसरे विश्लेषकों ने लगातार गहराते जा रहे चालू खाते घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत तक जाने का अनुमान लगाया है. इस पर पनगढ़िया का कहना है कि ऐसा नहीं होगा और यदि ऐसा होता भी है तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
पनगढ़िया ने आगे कहा कि आयात शुल्क बढ़ाना किसी भी तरीके से अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक नहीं होगा क्योंकि ऐसे सीमा-शुल्कों को हटाने के बाद ही देश की अर्थव्यवस्था सतत गति से वृद्धि कर पाई है. वित्तीय वर्ष 2004 से लेकर 2018 तक इन्हीं नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था 7.6 की औसत दर से वृद्धि कर पाई है.
बता दें कि लगातार बढ़ते हुए चालू खाते घाटे और रुपये पर पड़ रहे इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए पिछले कुछ महीनों में सरकार ने अनेक उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है. जबकि विश्लेषक पहले ही सितंबर में सरकार द्वारा 19 उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने से पड़ने वाले प्रभाव पर संदेह जता चुके हैं. विश्लेषकों का कहना है कि 86,000 करोड़ रुपए में खरीदे गए ये उत्पाद वाणिज्यिक वस्तुओं के आयात का केवल 2.5 और 2017-18 की जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है.
वहीं अक्टूबर में भी सरकार ने एक दर्जन से अधिक और उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया, जबकि इस वित्तीय वर्ष में ऐसे उत्पादों के आयात में उछाल आया है. इस साल जुलाई और अप्रैल के बीच में इलेक्ट्रिक मशीनों का 44, मशीनी उपकरणों का 43, पानी के जहाज और नावों का 36 और तांबे से बने रद्दी माल का 34 प्रतिशत अधिक आयात हुआ है. इन सभी का आयात मूल्य 1 अरब डॉलर से भी अधिक है. यहां तक की कोयले का आयात भी 28 प्रतिशत बढ़कर इस जुलाई में 11 अरब डॉलर का हो गया था.
यह बात बिल्कुल साफ है कि 2018 में अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि ने आंशिक रूप से बाजार में मंदी को पैदा किया है. इसके कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सिर्फ नेट विक्रेताओं के रूप में ही बदलकर रह गए हैं.