अयोध्या मामला: मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित मध्यस्थता समिति ने 16 अक्टूबर को कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘एक तरह का समझौता’ है.
मध्यस्थता समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं.
मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे हैं और इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं.
रविशंकर ने ट्वीट किया, ”सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर जो भरोसा जताया उसके लिए मैं उसका आभार जताता हूं. मैं ईमानदार और अथक भागीदारी के लिए सभी पक्षकारों को धन्यवाद देता हूं. मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो इस देश के मूल्यों की साक्षी है.”
सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है.