भारतीय पर्यटकों से परमिट शुल्क वसूलने की तैयारी में भूटान
भूटान क्षेत्रीय देशों से पर्यटकों के आने पर शुल्क लगाने की योजना बना रहा है. इनमें मालदीव और बांग्लादेश के साथ भारत भी शामिल है. अबतक इन देशों को भूटान में पर्यटन के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता था.
पर्यटन नीति के ड्राफ्ट को अगले महीने तक भूटानी मंत्रिमंडल अंतिम रूप दे देगी.
इस सिलसिले में सोमवार को दिल्ली में भूटान के विदेश मंत्री तांदी दोरजी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर बातचीत की.
भूटान की पर्यटन परिषद (टीसीबी) के तैयार किए मसौदे के मुताबिक नई शुल्क का प्रस्ताव क्षेत्र से पर्यटनों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर पेश की गई है.
अखबार द हिंदू से बातचीत में टीसीबी के महानिदेशक दोरजी धराधुल ने कहा, ‘हमारी ‘हाई वैल्यू, लो इम्पैक्ट’ नीति का मकसद हमारे देश में आने वाले पर्यटकों की हमारे क्षमता के अनुसार उन्हें सुविधा मुहैया कराने के लिए उनकी संख्या पर नजर बनाए रखना है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले कुछ सालों से पर्यटकों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. पिछली सदी में यह दस गुणा तक बढ़ा है. यह हमारी नीति के लिए ठीक नहीं है.’
विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में कुछ भी कहने से मना कर दिया. मामले की जानकारी रखने वाले एक ऑफिसर ने बताया कि नीति को लेकर भारत की अपनी चिंताएं हैं और मसौदे के प्रस्ताव में भारतीय पर्यटकों के लिए ज्यादा परेशानी पैदा करने वाली चीज ना हो और एक वाजिब नीति भूटान को बनाना चाहिए.
2018 में भूटान जाने वाले पर्यटकों की कुल तादाद 2,74,000 थी. इसमें से 2,00,000 क्षेत्रीय पर्यटक थे जिसमें से 1,80,000 पर्यटक केवल भारत से गए थे.
बाकि देशों की तुलना में भारतीय, बांगलादेशी और माल्दीव से आने वाले पर्यटकों को किसी तरह का भुगतान करना जरूरी नहीं था और वे बिना वीजा के भी भूटान घूमने जा सकते थे.
नई नीति के अनुसार अब इन पर्यटकों को सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस और परमिट प्रोसेसिंग फीस अदा करना होगा.
धराधुल ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि इस नीति का मकसद पर्यटकों की संख्या में कटौती करना है. बल्कि इसे सस्टेनेबल तरीके से बढ़ाने के लिए कोशिश है.
भूटानी सरकार क्षेत्रीय पर्यटकों को ऑनलाइन पेश किए जाने वाले कम किराए के ठहरने की जगह का उपयोग करने से रोकना चाहती है क्योंकि इससे गैर-पंजीकृत गेस्ट हाउस और होमस्टे की तादाद में बढ़ोतरी हो रही है.
दिल्ली में 10वें भारत-भूटान संवाद के दौरान भूटान के विदेश मंत्री ने कहा, ‘पनबिजली के बाद पर्यटन हमारे राजस्व का प्रमुख स्त्रोत है. इसलिए पर्यटन पर पड़ने वाले प्रभाव से हम भी प्रभावित होंगे. हम क्षेत्रीय पर्यटन को मुख्यधारा में लाने की ओर उत्सुक हैं. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नीति के साथ तालमेल में लाना चाहते हैं.’