बीजेपी की इलेक्टोरल बॉन्ड में पहचान जाहिर नहीं करने की सिफारिश
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था में दानकर्ता और खरीदार राजनीतिक दल की पहचान नहीं जाहिर करने की सिफारिश की थी.
कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने आरटीआई के माध्यम से इलेक्टोरल बॉन्ड पर दस्तावेज जुटाए हैं. इन दस्तावेजों के हवाले से अंग्रेजी अखबार द हिंदू लिखता है कि बीजेपी के महासचिव भूपेंद्र यादव ने अगस्त 2017 में वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में दानकर्ताओं की पहचान गोपनीय बनाए रखने की सिफारिश की थी. उस समय सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड का प्रस्ताव तैयार कर रही थी.
पार्टी ने सुझाव दिया था कि बॉन्ड बिना किसी सीरियल नंबर या पहचान के जारी किए जाने चाहिए. ताकि दानकर्ता और खरीदार की पहचान नहीं की जा सके.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की मांग के बाद बॉन्ड पर सीरियल नंबर दिए गए. हालांकि एसबीआई ये नंबर सरकार और दानकर्ता को छोड़कर किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस नंबर का इस्तेमाल दानकर्ता और खरीदार की पहचान का पता लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है.
बीजेपी ने पत्र में ये भी मांग की थी कि बॉन्ड को इनकैश कराने के लिए 60-90 दिन का समय दिया जाए. साथ ही मांग की कि ये जिम्मेदारी राजनीतिक दलों की ना हो कि दानकर्ता विदेशी है.
हालांकि अंतिम स्वरूप में आरबीआई की सिफारिश पर बॉन्ड इनकैश कराने के लिए 15 दिन का ही समय दिया गया.
यादव ने ये पत्र 17 अगस्त, 2017 को लिखा था. अखबार लिखता है कि यादव के पत्र में काफी विस्तृत जानकारी थी, जिसे देखकर कहा जा सकता है कि उन्हें ड्राफ्ट के बारे में जानकारी थी. जबकि इससे कुछ ही दिन पहले बॉन्ड स्कीम का ड्राफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया था.
इससे पहले खबर आई थी कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय और राज्य की राजनीतिक पार्टियों और आम जन सामान्य से उनकी राय लेना जरूरी नहीं समझा था. नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टु इंफोर्मेशन की अंजली भारद्वाज द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ था.
ध्यान देने वाली बात है कि बॉन्ड पर इतने विस्तृत सुझाव किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर से नहीं आए.