केंद्र की RIL में सऊदी अरामको को हिस्सेदारी बिक्री पर रोक लगाने की मांग
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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) में विदेशी कंपनी सऊदी अरामको को 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचे जाने पर केंद्र की ओर से रोक लागाने की मांग करने वाले मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने ब्रिटिश गैस और आरआईएल को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.
सितंबर में दाखिल एक पत्र में सरकार ने कहा कि दोनों कंपनियां पन्ना-मुक्ता एवं ताप्ती क्षेत्रों के लिए सरकार के साथ उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का भुगतान करने में विफल रही हैं.
पन्ना-मुक्ता एवं ताप्ती क्षेत्रों के लिए सरकार के साथ उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) पर 1994 में हस्ताक्षर किए गए थे. ये अनुबंध शनिवार को खत्म हो रहा है.
अपने पक्ष में सरकार ने कोर्ट से आरआईएल और ब्रिटिश गैस को इस रकम की अदायगी का निर्देश देने की मांग की है. साथ ही मांग की कि दोनों ही कंपनियां उपर्युक्त सुरक्षा राशि जमा कराएं.
वाणिज्य मामलों पर सुनवाई करने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने आरआईएल और ब्रिटिश गैस को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हुए एक एफिडेविट फाइल करने को कहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई अगले साल 6 फरवरी को होगी.
भारत की सबसे बड़ी कंपनी आरआईएल ने ऑयल टू केमिकल बिजनेस में 20 फीसदी हिस्सेदारी सऊदी अरब की कंपनी सऊदी अरामको को बेचने की घोषणा की थी. ये लगभग एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की डील है.
सरकार आरआईएल के खिलाफ 2010 से आर्बिट्रेशन लड़ रही है. सरकार का कहना है कि लगातार नोटिफिकेशन के बाद भी कंपनियों ने राशि जमा नहीं की है.
सरकार आरआईएल के खिलाफ 14 हजार करोड़ रुपये के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का एक अन्य मामला भी लड़ रही है.