वोट प्रतिशत को सीटों में बदलने की चुनौती


Challenges of converting vote share into seats

 

साल 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए को संगठित जनादेश मिलने का बहुत बड़ा कारण पार्टी को मिले वोट फीसदीऔर सीटों की संख्या की विसंगति थी.

तब जानकारों ने रेखांकित किया था कि ‘फर्स्ट पोस्ट दि पास्ट सिस्टम’ के चलते पैदा हुई इस विसंगति के चलते ही विपक्षी पार्टियां अच्छा वोट फीसदी पाने के बाद भी ज्यादा सीटें नहीं जीत सकीं.

इसी विसंगति से पार पाने की चुनौती विपक्षी पार्टियों के सामने इस चुनाव में भी है.

इस लिहाज से ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्य  कांग्रेस, द्रमुक, भाजपा, माकपा, बसपा, आप जैसे राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होने वाले हैं. यहां पिछले चुनाव में इन्हें वोट तो बहुत मिले, लेकिन उस अनुपात में सीटें नहीं मिल सकीं.

2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि ओडिशा में कांग्रेस को 26 फीसदी वोट मिले लेकिन राज्य में वह एक सीट भी नहीं जीत सकी . राज्य में भाजपा का वोट फीसदी 21.5 था और वह केवल एक सीट ही जीत सकी.

तमिलनाडु में द्रमुक को 23.6 फीसदी वोट मिले लेकिन उसे राज्य में एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं हुई . राज्य में भाजपा और पीएमके को क्रमश: 5.5 फीसदीऔर 4.4 फीसदी वोट और एक-एक सीट पर जीत मिली.

इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में माकपा को 22.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए और वह दो सीट जीतने में सफल रही . वहीं, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का वोट फीसदी 19.6 था, लेकिन वह राज्य में एक सीट भी नहीं जीत सकी. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 7.5 फीसदी वोट प्राप्त करके दो सीटों पर जीत हासिल की.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी  को दिल्ली में 32.9 फीसदी वोट मिले लेकिन वह राज्य की सात में से एक सीट भी नहीं जीत पायी थी.

पिछले चुनाव में ओडिशा में बीजू जनता दल के वोटों की राष्ट्रीय स्तर पर हिस्सेदारी 1.71 फीसदी थी जबकि उसकी राष्ट्रीय स्तर पर सीटों का फीसदी 3.68 फीसदी था. राज्य में बीजद को 21 में से 20 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जहां प्रदेश स्तर पर उसकी वोट हिस्सेदारी 44.1 फीसदी थी.

अन्नाद्रमुक की राष्ट्रीय स्तर पर वोट हिस्सेदारी 3.27 फीसदी थी और उसे 6.81 फीसदी वोट प्राप्त हुए. अन्नाद्रमुक को प्रदेश स्तर पर 44.3 फीसदी वोट मिले थे और उसने 39 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी.

पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर वोट हिस्सेदारी 3.84 फीसदीथी और उसे 6.26 फीसदी सीटें मिली थी. तृणमूल को राज्य स्तर पर 39.3 फीसदी वोट मिले लेकिन उसने 80.95 फीसदी सीटें जीतीं.


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