‘सरकार’ बनने की कोशिश न करे प्रशासकों की समिति


CoA  should not behave like government: Justice R M Lodha

 

जस्टिस (सेवानिवृत्त) आर एम लोढ़ा ने प्रशासकों की समिति (सीओए) पर यह कहते हुए सवाल उठाए हैं कि उसने पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर करने के मुद्दे पर ‘सरकार’ की तरह व्यवहार किया. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि भारत किस देश से खेले और नहीं, यह तय करना सरकार का काम था, सीओए का नहीं.

अंग्रेजी अखबार ‘दि हिंदू’ से बातचीत में कहा कि 18 जुलाई, 2016 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है और इस देरी से वह चकित हैं.

सीओए के दो सदस्य, विनोद राय और डायना एडुल्जी सार्वजनिक मचों पर अपने मतभेद जाहिर करते रहे हैं. लोढ़ा ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है. दोनों ने अपने मतभेदों को सार्वजनिक कर ख़ुद का तमाशा बनाया है.

लोढ़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए ही सीओए में एक तीसरे सदस्य की नियुक्ति की क्योंकि चीजें सही नहीं  चल रहीं थीं. अब सभी निर्णय बहुमत से लिए जाएंगे.

वे इस बात पर भी चकित थे कि बोर्ड के तीनों पदाधिकारियों ने नए संविधान के पंजीकरण के बावजूद भी अपने पदों को क्यों नहीं छोड़ा. जबकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट इस बात से अवगत करा चुका था. लोढ़ा ने स्पष्ट कहा कि तीनों पदाधिकारियों का कार्यकाल बहुत पहले समाप्त हो गया था और नए संविधान के तहत प्रशासन में उनका कोई स्थान नहीं था.

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ मुद्दों पर फैसला लेना बाकी हो, इसलिए ये तीनों अपने पद पर बने हुए हैं. हालांकि बीसीसीआई का शासन अब भी कामचलाऊ ढंग से चल रहा है और यह चिंता की बात है.

उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब इन सब कमियों का दुष्प्रभाव खेल पर भी पड़ेगा.


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