सस्ते घरों की बिक्री बढ़ाने के क़दमों पर निवेशकों की ठंडी प्रतिक्रिया


most import outcomes of budget 2019

 

आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सस्ते घरों की बिक्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से होम लोन के ब्याज पर मिलने वाले आयकर छूट को 45 लाख तक के मकान पर साल में 2 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये किया लेकिन इसके बावजूद यह कदम निवेशकों का उत्साहित करने में नाकाम रहा है.बजट के बाद से निफ्टी रियल्टी सूचकांक 7 फीसदी लुढ़क चुका है.

बजट में उस आवासीय सीमा को भी बढ़ाया गया है जिसके तहत टैक्स में छूट मिलती है. कुछ शहरों में निर्धारित सीमा को दोगुना बढ़ाकर 60 स्क्वायर मीटर कर दिया गया जबकि बाकी शहरों में इसे बढ़ाकर 60-90 स्कवायर मीटर कर दिया गया.

जेफरीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एक विश्लेषक ने कहा, “सस्ते घरों के ब्याज में टैक्स की कटौती करने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा. इससे स्वामित्व की लागत केवल 4-5 फीसदी कम होगी.”

उन्होंने कहा कि महानगरों में आवासीय सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इससे रियल स्टेट कंपनियों को 45 लाख के घरों के बिक्री करने में दिक्कत होगी. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव लिस्टेड (अधिसूचित) कंपनियों पर पड़ेगा जो ज्यादातर घरों की बिक्री महानगरों में करती हैं.

हालांकि बड़ी रियल स्टेट कंपनियों ने सस्ते घर देने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं लेकिन इसके बावजूद सस्ते घरों को बेचने से मिलने वाले कुल टर्नओवर में उनका योगदान काफी कम है.

इसके अलावा जानकार हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को फ़ाइनेंस करने वाली विनियामक व्यवस्था में बदलाव से भी चिंतित हैं. अब इन हाउसिंग कंपनियों को नेशनल हाउसिंग बैंक के बजाय भारतीय रिजर्व बैंक फाइनेंस करेगा.
विश्लेषकों का मानना है कि इससे हाउसिंग फाइनेंस लेने की कोशिश कर रही कंपनियों को तरलता की कमी का सामना करना पड़ सकता है.

कुल मिलाकर माना जा रहा है कि इन उपायों से घरों की बिक्री के बाजार का बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा.


Big News