उत्पादन में कमी से वाहनों की खुदरा बिक्री में गिरावट 7.5% तक सीमित


13 percent decrease in vehicle production in April-July

 

ऑटोमोबाइल सेक्टर फिलहाल मंदी के दौर से गुजर रहा है. घरेलू अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों में जारी नकदी संकट के बीच वाहनों की खुदरा बिक्री इस साल मई महीने में 7.5 फीसदी गिरकर 17 लाख 70 हजार यूनिट रह गई.

द मिंट की खबर के मुताबिक निर्माताओं की ओर से उत्पादन में आई कमी की वजह से कारों की खुदरा बिक्री में भी कमी देखी गई. वहीं दुपहिया और कमर्शियल वाहनों की बिक्री में इससे ज्यादा कमी देखी गई.

यात्री वाहनों की श्रेणी में उत्पादकों की ओर से थोक डिस्पैच में आई कमी के साथ खुदरा बिक्री साल दर साल एक फीसदी की दर से घटकर 2,51,049 यूनिट रह गई है.

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का थोक डिस्पैच 23 फीसदी घटकर 1,25,552 यूनिट रह गया. हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड का थोक डिस्पैच 5.6 फीसदी गिरकर 42,502 यूनिट और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड का एक फीसदी घटकर 20,608 यूनिट रह गया. वहीं मांग में आई कमी के चलते मारुति सुजुकी ने अपने उत्पादन में 18 फीसदी तक की कटौती भी की.

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ें बताते हैं कि भारत में निजी वाहनों की बिक्री बीते महीने मई में 21 फीसदी तक घटकर पिछले 18 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.

यह सिंतबर 2001 में देखी गई 22 फीसदी की गिरावट के बाद सबसे अधिक रही.

एनबीएफसी में नकद की कमी, भारी और मध्य स्तर के ट्रकों में एक्सल नॉर्म्स में बदलाव और उत्पादन में गिरावट के चलते कमर्शियल वाहनों की बिक्री साल दर साल 7.8 फीसदी की दर से घटकर 62,551 यूनिट रह गई. वहीं दुपहिया वाहनों की बात करें तो इनकी बिक्री में साल-दर-साल 8.6 फीसदी की दर से घटकर 14 लाख यूनिट रह गई.

ये गिरावट बीते साल की दूसरी छमाही में दर्ज की गई, जब इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़ोतरी के बाद दामों में 10 फीसदी का उछाल देखा गया.

सियाम के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में जारी संकट की वजह से स्कूटर होलसेल वॉल्यूम में 7.8 फीसदी की कमी आई है. वहीं मोटरसाइकिल की बिक्री में 4.8 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है.

फाडा की अध्यक्ष ऐश हर्षराज काले के मुताबिक,”दुपहिया वाहनों का बिना बिका हुआ स्टॉक एक गंभीर मुद्दा है, हमने निर्माताओं से सप्लाई में कमी करने को कहा है. हम निर्माताओं को सुझाव देंगे की वो 21 दिनों तक का ही माल रखें.”


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