अरविंद सुब्रमण्यन के दावे को आर्थिक सलाह समिति ने किया खारिज


eac rejects arvind subramanian's claim of over estimating gdp

 

प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली समिति ने पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के हाल ही में छपे उस पत्र का बिंदुवार जवाब पेश किया है, जिसमें उन्होंने जीडीपी वृद्धि दर को वास्तविकता से अधिक आंके जाने की बात कही थी.

‘जीडीपी एस्टीमेशन इन इंडिया- पर्सपेक्टिव एंड फैक्ट्स’ शीर्षक से छपी रिपोर्ट में समिति ने अरविंद सुब्रमण्यन की जीडीपी वृद्धि दर मापने की क्रियाविधि, तर्कों और निष्कर्षों को अकादमिक मेरिट और भारतीय वास्तविकताओं के आधार पर अस्वीकार कर दिया है.

नीति आयोग की तरफ से जारी एक नोट में कहा गया, “अरविंद सुब्रमण्यन ने अपनी सुविधानुसार कुछ सूचकों को चुना ताकि वे अपनी इस परिकल्पना को सही साबित कर सकें कि 2011-12 के बाद से जीडीपी वृद्धि दर को वास्तविकता से अधिक मापा गया है.”

इस नोट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली समिति ने ऐसे आठ बिंदुओं को तथ्यों और तर्कों के साथ पेश किया है, जो अरविंद सुब्रमण्यन के पेपर को सिरे से नकारते हैं.

समिति ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर मापने के लिए भारत जिस क्रियाविधि का इस्तेमाल करता है, वो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पूरी तरह खरी उतरती है.

समिति ने कहा है कि नई क्रियाविधि के तहत जीडीपी वृद्धि दर मापने के लिए वर्ष 2011-12 को आधार माना जा रहा है. समिति ने कहा कि इस नई क्रियाविधि में एमसीए 21 डाटाबेस और सिस्टम ऑफ नेशनल अकाउंट्स 2008 की सिफारिशों को अपनाया जा रहा है.
समिति ने कहा कि यह बदली हुई क्रियाविधि दूसरे देशों की क्रियाविधि के साथ समन्वय में है. समिति ने कहा कि इस क्रियाविधि से दूसरे देशों ने भी अपनी जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित किया है.

इससे पहले पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा था कि 2011-12 और 2016-17 के बीच जीडीपी वृद्धि दर 2.5 फीसदी अधिक मापी गई.


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