आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 संसद में पेश, सात फीसदी विकास दर की उम्मीद


nirmala sitharaman announces merger of ten banks

 

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 संसद में पेश कर दिया गया है. इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सभा के पटल पर रखा. यह सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम और उनकी टीम ने तैयार किया है.

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2019-20 के दौरान तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना है. सर्वे में कहा गया है कि इससे उपभोग में बढ़ोतरी होगी. जिससे आर्थिक इंजन को गति मिलेगी.

सरकार ने अपने आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2020 के लिए सात फीसदी विकास दर की उम्मीद जताई है. साथ ही सरकार ने इस दौरान आर्थिक हालात स्थिर रहने की आशा भी जताई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “2019-20 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान है. बीते वित्त वर्ष में पूरे साल वृद्धि दर के निचले स्तर पर रहने के बाद यह अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार का संकेत है.”

सर्वे में 2018-19 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 3.4 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान है. अंतरिम बजट में भी राजकोषीय घाटा 3.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.

सर्वे में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 फीसदी रही.

सर्वे के मुताबिक साल 2025 तक अर्थव्यवस्था के पांच लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने के लिए आठ फीसदी की विकास दर होनी चाहिए.

आर्थिक समीक्षा में 2018-19 में खाद्यान्न उत्पादन 28.34 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया है. कृषि, वानिकी और मत्स्यन में 2.9 फीसदी वृद्धि का अनुमान है. विदेशी मुद्रा भंडार 2018-19 में 412.9 अरब डालर रहने का अनुमान है.

वित्त वर्ष 2018-19 में आयात में 15.4 फीसदी जबकि निर्यात में 12.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.

आर्थिक समीक्षा में छोटी कंपनियों के बजाए बड़ी कंपनी बनने की क्षमता रखने वाली नई कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को नई दिशा देने का आह्वान किया गया है.

आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में नवीनीकरण ऊर्जा पर जोर दिया गया है. सर्वेक्षण पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमारा देश दुनिया की सबसे बड़ी नवीनीकरण ऊर्जा को विस्तार देने पर काम कर रहा है.

सर्वेक्षण के अनुसार नवीनीकरण ऊर्जी की भागीदारी 2014-15 में छह प्रतिश्त से बढ़कर 2018-19 में 10 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. अब भारत पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे नंबर पर, सौर्य ऊर्जा के क्षेत्र में पांचवे नंबर पर और संपूर्ण नवीनीकरण ऊर्जा के मामले में पांचवे नंबर पर पहुंच चुका है. सर्वे में विविध जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा को विस्तार देने की बात कही गई है.

सर्वेक्षण में स्वच्छ ईंधन के तौर पर एलपीजी गैस के प्रयोग पर जोर दिया गया है. सर्वेक्षण के अनुसार स्वच्छ ईंधन के तौर पर एलपीजी गैस को लगातार इस्तेमाल में लाना एक बड़ी चुनौती है.

सर्वेक्षण में सार्वजनिक सुविधाओं पर सरकारी निवेश बढ़ाने की बात कही गई है. सर्वेक्षण के अनुसार स्वास्थ्य और शिक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारों का कुल खर्च 2014-15 के मुकाबले 2018-19 में बढ़ा है.

स्वास्थ्य पर 2014-15 में जहां जीडीपी का कुल 1.2 फीसदी खर्च हुआ, वहीं 2018-19 में यह खर्च बढ़कर 1.5 फीसदी हो गया. इसी प्रकार शिक्षा पर खर्च 2.8 से बढ़कर 3 फीसदी हो गया.

इसके साथ ही आर्थिक सर्वेक्षण में रिटायरमेंट की सीमा को 60 की उम्र से ज्यादा बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया है.

सर्वेक्षण में बताया गया कि 2018-19 में आठ मुख्य उद्योग 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़े. सर्वेक्षण में बताया गया कि वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिग में भारत ने बहुत तरक्की की है. 2018 में भारत 77 वें से 23 वें स्थान पर आ गया.

सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में सेवा क्षेत्र मंद पड़ा है. 2017-18 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.1 फीसदी थी, 2018-19 में यह 7.5 फीसदी रही.

सर्वेक्षण में बताया गया कि 2018-19 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 फीसदी रहा. सर्वेक्षण में बताया गया कि इसे तीन फीसदी करने का लक्ष्य वित्त वर्ष 2020-21 में हासिल किया जाएगा.

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में महंगाई दर पिछले पांच सालों में सबसे कम रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले पांच सालों में महंगाई को बढ़ते, घटते और स्थिर होते देखा है.

हेडलाइन इन्फलेशन आधारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पांच सालों से लगातार गिरावट देखी जा सकती है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के तहत महंगाई दर 2014-15 में 5.9 प्रतिशत से गिरकर 2015-16 में 4.9 प्रतिशत, 2016-17 में 4.5 प्रतिशत, 2017-18 में 3.6 प्रतिशत और 2018-19 में गिरकर 3.6 प्रतिशत पहुंच चुकी है.

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महंगाई दर में गिरावट देखी गई है. इसमें शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर में ज्यादा गिरावट आई है. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक महंगाई को काबू करना मोदी सरकार की नीतियों का प्रमुख केंद्र है.

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिका की तरफ से ईरान के साथ तेल की खरीदारी पर रोक लगाने की वजह से तेल की कीमतों पर असर पड़ा है, जिसके चलते पेट्रोलियम पर दी जाने वाली छूट में भी कमी आई है.

आर्थिक सर्वे एक तरह से सरकार के बीते साल भर का रिपोर्ट कार्ड होता है. इससे सरकार की आगे की योजनाओं की एक झलक भी देखने को मिलती है. आमतौर पर आर्थिक सर्वेक्षण बजट से एक दिन पहले संसद के पटल पर रखा जाता है.

आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि उनकी टीम ने कड़ी मेहनत और निष्ठा से इस आर्थिक सर्वेक्षण को तैयार किया है और उन्हें उम्मीद है कि यह देश की अर्थव्यवस्था की प्रगति में अपना योगदान देगा.

इस बार आर्थिक सर्वेक्षण ऐसे समय में पेश किया गया है जब अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर जबरदस्त दबाव का सामना कर रही है. लगातार घटती खपत के साथ ही कृषि के हालात अच्छे नहीं हैं. साथ ही बैंकों का एनपीए एक गंभीर समस्या बना हुआ है. समीक्षकों ने रोजगारविहीन विकास को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की एक बड़ी समस्या बताया है. समीक्षकों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए मोदी सरकार को जल्द से जल्द रोजगार पैदा करने होंगे.


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