एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकार पर मुकदमा दर्ज करने की निंदा की
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश सरकार के पत्रकार पवन जायसवाल वाले मामले में कड़ी निंदा की है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने पवन जायसवाल की एक रिपोर्ट के चलते उन पर एफआईआर दर्ज करवाई थी. पवन ने स्कूल में बच्चों को मिड डे मिल में रोटी और नमक दिए जाने पर एक रिपोर्ट की थी. पवन ने इस पर विडियो बनाया था जो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो गया था.
पवन पर उत्तर प्रदेश सरकार ने आपराधिक मामले की धारा के तहत मामला दर्ज किया है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है और सरकार से मांग की है कि पत्रकार पर से सारे मामले वापस लिए जाए.
गिल्ड ने कहा कि सरकार का यह कदम अत्यंत चौंकाने वाला है कि उसने इस पर कार्रवाई करने के बजाए पत्रकार पर ही केस कर दिया.
गिल्ड के मुताबिक अगर सरकार को लगता है कि यह रिपोर्ट गलत है तो इसके लिए कुछ सरल और पारंपरिक उपाय भी हैं.
यह मुकदमा पिछले 31 अगस्त को खण्ड शिक्षाधिकारी प्रेम शंकर राम की तहरीर पर दर्ज किया गया है. मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि पत्रकार पवन ने सोची—समझी साजिश के तहत स्कूल में वीडियो तैयार किया ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके.
इससे पहले 22 अगस्त को मिर्जापुर के जमालपुर विकास खण्ड स्थित सियूर प्राथमिक विद्यालय की इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने इसकी जांच कराई थी और प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने पर दो शिक्षकों मुरारी और अरविंद कुमार त्रिपाठी को निलम्बित किया था.
अब इसी मामले का खुलासा करने वाले पत्रकार और अन्य लोगों पर दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि राजकुमार को जानकारी थी कि घटना के दिन स्कूल में सिर्फ रोटी ही बनी है मगर उसने सब्जी का इंतजाम कराने के बजाय पत्रकार पवन जायसवाल को बुलाया, जिसने रसोइयों द्वारा बच्चों को केवल रोटी नमक खिलाते हुए वीडियो बना लिया और उसे एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एजेंसी को भेज दिया.
उस वीडियो में एक महिला बच्चों को रोटी दे रही है और एक व्यक्ति उनकी थाली में नमक परोस रहा है.