बजट में किसी वर्ग को राहत नहीं, कर का बोझ और बढ़ा: चिदंबरम


yes bank crisis is a part of financial mismanagement under govt watch

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट की तीखी आलोचना की है. उन्होंने दावा किया है कि नई मोदी सरकार के पहले आम बजट से समाज के किसी भी वर्ग को उचित राहत नहीं मिली है. उन्होंने दावा किया है कि मोदी सरकार ने आम बजट से लोगों पर कर का बोझ और बढ़ा दिया है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ”क्या कभी कोई ऐसा बजट आया है जिसमें कुल राजस्व, कुल खर्च, वित्तीय घाटे, राजस्व घाटे और वित्तीय रियायतों का उल्लेख नहीं है? हम अब तक चली आ रही परंपराओं से इस सरकार के अलग जाने से स्तब्ध हैं.”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए वित्त वर्ष 2019-20 के बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चिदंबरम ने कहा, ”आम नागरिकों या जानकार अर्थशास्त्रियों की आवाज को सुने बिना यह बजट तैयार किया गया. यह बजट आर्थिक समीक्षा से पैदा हुई मामूली उम्मीदों के मुताबिक नहीं है.”

चिदंबरम ने दावा किया, ”वित्त मंत्री ने किसी भी वर्ग को उचित राहत नहीं पहुंचाई है. इसके उलट उन्होंने कई वस्तुओं और पेट्रोल एवं डीजल पर कर का बोझ बढ़ा दिया.”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पहले बजट भाषण को अपारदर्शी करार देते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि बजट में मनरेगा और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं को मिलने वाले फंड का कोई जिक्र नहीं है.

पी चिदंबरम ने कहा कि निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में किसी भी सुधार की बात नहीं की. उन्होंने कहा कि बजट में इस ओर कोई भी इशारा नहीं किया गया है कि निजी निवेश को बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाए जाएंगे, जबकि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने निजी निवेश के आधार पर ही अर्थव्यवस्था को गति देने की बात कही है.

चिंदबरम ने दावा किया है कि मोदी सरकार ने बजट द्वारा यह प्रदर्शित करने की कोशिश की है कि देश एक बड़ा राज्य है और सरकार राज्य सरकारों की जिम्मेदारी निभाएगी. उन्होंने कहा है कि ऐसा करना भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है.

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री यह समझते हैं कि केवल वे और उनकी सरकार ही जनता को सुविधाएं मुहैया करवा सकते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं मानते हैं.

उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि राज्य सरकारों के पास आम लोगों को सुविधाएं प्रदान करने की क्षमता है और उन्हें केवल प्रशासन संभालने तक सीमित कर देना सही नहीं है.


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