लाभांश के लिए सरकारी कंपनियों पर दवाब बना रही मोदी सरकार
कर राजस्व में कमी के चलते राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों पर अतिरिक्त लाभांश देने के लिए दबाव बना रही है. जबकि कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हैं. खबरों के मुताबिक सरकार इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और आयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी सरकारी कंपनियों से चालू वित्त वर्ष के लिए दूसरा अंतरिम लाभांश देने का दबाव बना रही है.
सूत्रों के मुताबिक ओएनजीसी ने दूसरा अंतरिम लाभांश देने से इनकार कर दिया है. ओएनजीसी ने कहा है कि उसके पास अंतरिम लाभांश के भुगतान के एक महीने के भीतर इस तरह के दूसरे भुगतान के लिए नकदी नहीं है.
आईओसी ने दूसरा अंतरिम लाभांश देने के मुद्दे पर विचार करने के लिए 19 मार्च को निदेशक मंडल की बैठक बुलाई है.
अंतरिम लाभांश के भुगतान के बाद एक महीने के भीतर ही दूसरा अंतरिम लाभांश नहीं दिया जा सकता है. इस तरह के भुगतान के लिए ओएनजीसी जैसी कंपनियों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अनुमति लेनी होगी.
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में कमी रहने की वजह से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे के 3.4 फीसदी के लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा. जिसे पूरा करने के लिए सरकार इन कंपनियों से पैसे वसूलने की फिराक में है.
जीएसटी संग्रह लक्ष्य से 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये और प्रत्यक्ष कर संग्रहण भी इतना ही कम रहने का अनुमान है.