टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम रहने पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाला


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आतंकवादियों के वित्त पोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने वित्त पोषण(टेरर फंडिंग) रोक पाने में असफल रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का फैसला किया है. इस बीच भारत ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की योजना को सितंबर तक प्रभावी तरीके से लागू करेगा.

एफएटीएफ ने आतंकी वित्त पोषण पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान को सितंबर तक का वक्त दिया है. इसके लिए संस्था ने 27 प्वाइंट के साथ चेक लिस्ट जारी की है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर पाकिस्तान इस पर अमल नहीं करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है.

अमेरिका में हुई बैठक के बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपनी जमीन से आतंकवाद और आतंकी वित्त पोषण जैसी चीजों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए.

एफएटीएफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वह सितंबर 2019 तक एफएटीएफ की योजना को प्रभावी तरीके से लागू करेगा. एफएटीएफ से किए गए राजनीतिक वादे के तहत पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकी वित्त पोषण के खिलाफ ठोस और जरूरी कदम उठाएगा.

एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के पीछे सिर्फ भारत की कोशिश शामिल नहीं है. बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे कई देश आतंकी गतिविधियों के प्रति जिम्मेदारी भरा कदम उठाने के लिए पाकिस्तान पर जोर देते रहे हैं.

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को दूसरी बार साल 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला है. पहली बार पाकिस्तान को साल 2012 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था.

इस बीच पाकिस्तान ने कहा है कि वह पिछले कुछ महीने में आतंक के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं और कई आतंकी ठिकानों को खत्म किया है.

पाकिस्तान पहले से ही मानता आ रहा कि एफएटीएफ की इस पहल के पीछे भारत की राजनीति है. हालांकि मौजूदा आर्थिक संकट से बचने के लिए पाकिस्तान की सरकार को एफएटीएफ से क्लीन चिट मिलने की उम्मीद है.


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