छंटनी के बीच वित्त मंत्रालय का फरमान- घबराहट पैदा करने से बचे उद्योग


Editor's Guild Strict After Restrictions on Media in the Ministry of Finance

 

वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर पेश करने के लिए बिजनेस चैम्बर्स और उद्योगों से छंटनी की ठोस संख्या देने को कहा है. मंत्रालय की ओर से जारी बयान में उद्योगों को घबराहट पैदा करने से बचने की सलाह दी है.

मीडिया रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि हाल में कई रिपोर्ट आई हैं जिनमें नौकरियां जाने की चर्चा है, इनमें ज्यादातर (मीडिया) रिपोर्ट हैं. मंत्रालय ने कारोबारियों को छंटनी की सही संख्या बताने को कहा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ‘पारले जी’ कंपनी 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बना रही है.

नॉर्थर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन(एनआईटीएमए) ने कपड़ा उद्योग में तीन करोड़ नौकरियों के खत्म होने की संभावना व्यक्त की है.

एनआईटीएमए की ओर से अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन में कहा गया है कि कपड़ा उद्योग भारी दिक्कतों का सामना कर रहा है. एनआईटीएमए ने मांग में कमी सहित सरकार की नीतियों को कपड़ा उद्योग की तबाही के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

नरमी की वजह से रियल स्टेट में काम करने वाले तीन लाख से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए हैं. जानकारों का मानना है कि अगर सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पाती है तो रियल स्टेट पर आया संकट गहरा सकता है और 50 लाख से अधिक लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.

ऑटो मोबाइल क्षेत्र में जारी मंदी के बीच देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुती सुजुकी इंडिया लिमिटेड में तीन हजार से अधिक अस्थायी कर्माचारियों की नौकरी चली गई है.

वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट के बीच देशभर में वाहन डीलर बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं. उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने दावा किया है कि पिछले तीन माह के दौरान खुदरा विक्रेताओं ने बिक्री में भारी गिरावट की वजह से करीब दो लाख कर्मचारियों की छंटनी की है.

ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी कि एसीएमए ने कहा है कि इस उद्योग क्षेत्र में कार्यरत करीब 10 लाख लोगों की नौकरियां खतरे में हैं. देश का ऑटोमोबाइल उद्योग इस समय गंभीर सुस्ती के दौर से गुजर रहा है.

31 मई को प्रकाशित खबर के मुताबिक सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई. इस प्रकार सरकार ने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की उस खबर को स्वीकार कर लिया है, जिसमें बेरोजगारी दर के पिछले 45 सालों में सर्वाधिक होने की बात कही गई थी.


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