पहली अफ्रीकी-अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन का निधन
पहली अफ्रीकी-अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन का निधन हो गया है. वह 88 वर्ष की थीं. टोनी मॉरिसन ने अश्वेत लोगों के अनुभवों पर आधारित शुरुआती काम किया. जिनमें बिलव्ड, सॉग ऑफ सोलोमॉन और सुला जैसे उपन्यास प्रमुख हैं.
उपनिवेशिक काल से लेकर आधुनिक समय में अश्वेतों की स्थिति की पृष्ठभूमि पर लिखे गए टोनी मॉरिसन के उपन्यासों से पाठक सीधे जुड़ते हैं.
मॉरिसन ने दर्जन भर उपन्यास लिखे. मोरिसन को 1988 में ‘बिलव्ड’ के लिए पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था.
गुलामी, कुप्रथा, रंगभेद और सुपरनैचुरल जैसे विषयों पर उन्होंने रचना का संसार को बुना.
उपन्यासकार के साथ-साथ मॉरिसन की पहचान एक संपादक और शिक्षाविद के रूप में भी है. वह कई अकादमिक क्षेत्रों में सेवा देने के साथ-साथ प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाने का काम किया.
उन्होंने एकबार कहा था कि लेखन उनके लिए ऐसी स्थिति है जिसमें वह स्वतंत्र महसूस करती हैं.
उनकी पहली किताब ‘ द ब्लूयेस्ट आई’ उस समय प्रकाशित हुई जब वह 40 साल की थीं.
साल 1953 में मॉरिसन ने हॉवर्ड विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने 1955 में कोरनेल विश्वविद्यालय में एमए की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया.
उन्होंने जमाईका के आर्किटेक्चर होराल्ड मॉरिसन से साल 1958 में शादी की. उनके दो बच्चे हैं- हैरोल्ड फोर्ड और स्लैड केल्विन. शादी के छह साल बाद उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया.
मॉरिसन की किताबों में इतिहास और अश्वेत इतिहास का खजाना था. जिसमें कविताएं थीं, दुखांत किस्से थे, प्रेम था, रोमांच था और पुरानी अच्छी चर्चाएं थीं.
मॉरिसन ने नोबेल पुरस्कार लेते हुए अपने व्याख्यान में कहा था, ‘‘ अफसाना मेरे लिए कभी मनोरंजन का स्रोत नहीं रहा। मेरा विश्वास है कि यह ज्ञान पाने के मुख्य तरीकों में शामिल है.’’