एफएमसीजी कंपनियां सुस्त मांग से परेशान


FMCG companies bothered by sluggish demand

 

रोजमर्रा के जरूरी सामानों की खपत में कमी देखने को मिली है. मार्च की तिमाही में कई बड़ी एफएमसीजी कंपनियों के ‘परिणाम’ यही बयां करते हैं. घरेलू ब्रांड गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड(जीसीपीएल) के कारोबार में मात्र एक फीसदी की वृद्धि हुई है. जानकारों के मुताबिक कंपनियों को मंदी से उबरने में वक्त लगेगा.

कोटक के मुताबिक आमदनी में वृद्धि नहीं होने की वजह से प्रति परिवार खपत में कमी आई है.

चार मई को कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्यूटीज की प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दुस्तान यूनिलीवर ने ‘रेसेशन’ शब्द का इस्तेमाल किया है, लेकिन संकट जल्द दूर होने वाला नहीं है.

जीसीपीएल और डाबर इंडिया लिमिटेड की स्थिति भी बेहतर नहीं है. जानकारों के मुताबिक मांग बढ़ाने के लिए इन कंपनियों को टैक्स में छूट और सरकारी मदद की दरकार होगी.

अंग्रेजी अखबार द मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च की तिमाही में एचयूएल की वृद्धि दर सात फीसदी रही है. जबकि पिछली पांंच तिमाही में लगातार वृद्धि दर 10 फीसदी से ऊपर रही थी. मार्च की तिमाही में डाबर इंडिया की वृद्धि दर चार फीसदी रही है, जबकि ब्रिटानिया की वृद्धि दर सात फीसदी रही है.

कंपनियों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों से मांग में कमी आई है. कृषि संकट की वजह से ग्रामीणों की आय घटी है. ग्राहकों में नकदी का संकट बना हुआ है. इन स्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में हालत में सुधार होने की गुंजाइश नहीं है.

क्रेडिट सुइसे सिक्युरिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मुताबिक डायरेक्ट फंड ट्रांसफर(डीबीटी) की योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. 

फरवरी 2019 के बजट में केन्द्र सरकार ने किसानों के एकाउंट में सीधे नकद भेजने का एलान किया था. लेकिन योजना का लाभ चुनाव के बाद जून में मिलने की संभावना है. कांग्रेस ने भी न्याय योजना लाने की बात कही है. जिसमें सबसे गरीब लोगों को डायरेक्ट फंड ट्रांसफर किया जाना है.

डीबीटी की योजना लागू होने के बाद सुधार होने में तीन से चार महीने का वक्त लगने का अनुमान है.


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