सरकार को सबरीमला फैसले में असहमति का बहुत ही महत्वपूर्ण आदेश पढ़ना चाहिए: जस्टिस नरिमन
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरिमन ने कहा कि सरकार को सबरीमला मामले में असहमति का बहुत ही महत्वपूर्ण आदेश पढ़ना चाहिए.
जस्टिस नरिमन ने अपनी और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की ओर से असहमति का आदेश लिखा था. आदेश में कहा गया था कि अदालत के फैसले को लागू करने वाले अधिकारियों को संविधान ने बिना किसी ना नुकुर के व्यवस्था दी है क्योंकि यह कानून के शासन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है. और सितंबर 2018 के फैसले का कड़ाई से अनुपालन करने का आदेश दिया गया है जिसमें सभी आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं को केरल के इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई थी.
न्यायमूर्ति नरिमन ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ”कृपया अपनी सरकार को सबरीमला मामले में कल सुनाए गये असहमति के फैसले को पढ़ने के लिये कहें, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है…..अपने प्राधिकारी को सूचित कीजिये और सरकार को इसे पढ़ने के लिये कहिए.”
जस्टिस नरिमन और जस्टिस चन्द्रचूड़ सबरीमला मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य थे ओर उन्होंने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी सितंबर, 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं को खारिज करते हुये बृहस्पतिवार को बहुमत के फैसले से असहमति व्यक्त की थी.
जस्टिस नरिमन ने मेहता से यह उस वक्त कहा जब न्यायालय धनशोधन के मामले में कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर सुनवाई कर रहा था.
कोर्ट ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की अपील खारिज कर दी.