राफेल मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर छह मई को सुनवाई


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को राफेल सौदा मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर चार मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.  न्यायालय इन पुनर्विचार याचिकाओं पर छह मई को सुनवाई करेगा.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने पुनर्विचार याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिये चार सप्ताह का समय देने का केन्द्र सरकार का अनुरोध अस्वीकार कर दिया. पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा कि उसे चार मई तक अपना जवाब दाखिल करना होगा.

पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण के अलावा आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, अधिवक्ता विनीत ढांडा ने भी शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिकाएं दायर कर रखी हैं.

केन्द्र सराकर ने पुनर्विचार याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा था.

केन्द्र सरकार ने इस पत्र में कहा था कि सरकार ने पुनर्विचार याचिकाओं में चुनिन्दा दस्तावेजों को आधार बनाये जाने पर आपत्तियां की थीं और न्यायालय ने 10 अप्रैल को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था.

राफेल सौदा मामले में  14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर ये पुनर्विचार याचिकायें दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे को चुनौती देने वाली सारी याचिकायें खारिज करते हुये कहा था कि इस मामले में निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में संदेह करने की कोई वजह नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को इस सौदे से संबंधित लीक कुछ दस्तावेजों पर आधारित अर्जियां स्वीकार कर ली थी. कोर्ट की ओर से पुनर्विचार याचिकाओं पर केन्द्र की प्रारंभिक आपत्तियों को अस्वीकार करने से केन्द्र सरकार को झटका लगा था. केन्द्र सरकार ने इन दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया था.

केन्द्र सरकार का तर्क था कि तीन दस्तावेज अनधिकृत तरीके से रक्षा मंत्रालय से निकाले गये हैं. जिसके आधार पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है.


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