परियोजनाओं की बढ़ी लागत और कर्ज एनएचएआई के लिए बना चिंता का सबब


NHAI to offer higways as loan security

 

परियोजनाओं की बढ़ती लागत और कर्ज का बोझ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. पीएमओ ने भी एनएचएआई के ‘अनियोजित और अत्यधिक विस्तार’ पर चिंता जताई है.

वहीं इससे पहले नियंत्रक एवं महालेखा परिक्षक (सीएजी) ने सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की लागत लेखा परीक्षा की मांग की थी. सीएजी ने कहा कि परियोजनाओं का खर्च काफी अधिक है ऐसे में सरकार को अपने कर्ज बढ़ाने वाले कदम पर रोक लगाने की जरूरत है.

बिजनेस स्टैंडर्ड लिखता है कि हाईब्रिड-एन्युइटी मॉडल (एचएएम) पर बनने वाली राजमार्ग परियोजनओं के लिए धन मुहैया कराने वाले बैंक अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं. एचएएम के तहत सरकार परियोजना पर आने वाली कुल लागत की 40 प्रतिशत पूंजी मुहैया कराती है. जबकि एनएचएआई के इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) मॉडल पर निर्भरता के चलते इसकी वित्तीय सेहत बिगड़ गई है. ईपीसी परियोजनाओं के लिए धन पूरी तरह सरकारी खजाने से आता है.

एसबीआई कैप्स के मुताबिक एनएचएआई की हालिया परियोजनाओं में ऋण के तौर पर मिलने वाली रकम का हिस्सा बढ़ गया है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि इन परियोजनाओं के लिए मिले ऋणों पर ब्याज की देनदारी राजस्व संग्रह से बड़ी मुश्किल से हो पाती है. कमाई तो बहुत दूर की बात है. कर्ज अदायगी एक बड़ी समस्या बन गई है.

विशेषज्ञों का मानना है कि एनएचएआई के बढ़ते ऋण की स्थिति चिंता का विषय है. माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष 2020 के आखिर तक यह 2.5 लाख करोड़ हो जाएगा. अगले दो दशकों में सालाना ब्याज का भुगतान लगभग 25 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस साल उधारी 21 फीसदी बढ़कर 72 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.

अगले दो दशकों में सालाना ब्याज का भुगतान लगभग 25 हजार करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

एनएचआईए पर कर्ज का बोझ ऐसे समय में बढ़ा है जब भूमि अधिग्रहण की लागत भी बढ़ी है. भूमि अधिग्रहण पर एनएचएआई की लागत वित्त वर्ष 2016-17 में 17,824 करोड़ रुपये थी, जो 2017-18 में दोगुनी होकर 32,143 हो गई. हालांकि परियोजनाओं की संख्या बढ़ने से भी भूमि अधिग्रहण खर्च बढ़ रहा है. मुख्य रूप से नए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के बाद भूमि मालिकों के लिए मुआवजे की राशि खासी बढ़ी है.

इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में एनएचएआई राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) से 40 करोड़ रुपये उधार ले सकता है. उसने इस साल 75,000 करोड़ रुपये उधार लेने की योजना बनाई है. प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य सुचारू रूप से करने के लिए, आगामी वर्षों में इतनी ही राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है.

सरकार और एनएचएआई सड़क निर्माण मॉडल को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं, वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क परिसंपत्‍ति की बिक्री पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

पूर्व सड़क परिवहन सचिव विजय छिब्बर ने कहा, “सड़क परिसंपत्‍ति के मुद्रीकरण से सरकार को सालाना कम से कम 30 हजार करोड़ रुपये मिलना जरूरी है. जबकि सरकार टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल से फिलहाल नौ हजार करोड़ रुपये की ही कमाई कर पाती है.”


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