मृत्युदंड और यातना के सामान का व्यापार रोकने वाले प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से किया इनकार
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मृत्युदंड और यातना में प्रयोग किए जाने वाले सामानों के व्यापार को समाप्त करने के लिए पेश प्रस्ताव पर भारत ने वोट करने से मना कर दिया है. भारत ने कहा है कि मृत्युदंड को यातना के बराबर नहीं माना जा सकता है.
193 सदस्यों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव के पक्ष में 83 और विपक्ष में 20 वोट पड़े. जबकि 44 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोट देने से ही इनकार कर दिया.
भारत इस प्रस्ताव से बचता नजर आया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने वोट ना करने के स्पष्टीकरण में कहा कि इस प्रस्ताव में मृत्युदंड को शामिल करने से यह चिंता उठती है कि इसे यातना के समान माना जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत पूरी तरह से यातना और सजा के दूसरे क्रूर और अमानवीय तरीकों को पूरी तरह से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने आगे कहा कि हम विश्वास करते हैं कि यातना से मुक्ति एक मानवाधिकार है, जिसका हर परिस्थिति में सम्मान किया जाना चाहिए और जिसे हर परिस्थिति में संरक्षित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत बहुत मजबूती से इस बात में विश्वास रखता है यातना देना एक जुर्म है और इसलिए गैरकानूनी है.
पॉलोमी त्रिपाठी ने कहा कि दूसरी तरफ जहां मृत्युदंड का वैधानिक प्रावधान है, वहां यह सजा सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद दी जाती है.
उन्होंने कहा, “प्रत्येक राष्ट्र-राज्य के पास अपनी नयायिक व्यवस्था और वैधानिक सजा को निर्धारित करने का संप्रभु अधिकार है. इस तरीके का कोई भी निहितार्थ जिसके तहत यातना को मृत्युदंड के बराबर माना जा रहा है, हमें स्वीकार नहीं है क्योंकि भारत में मृत्युदंड एक वैधानिक प्रावधान है, हालांकि इसे दुर्लभ मामलों में इस्तेमाल किया जाता है.”