लगातार घट रही खपत, नहीं दिख रहा रेपो रेट कम करने का असर
अमेरिकी लेखक हाल बोरलैंड ने कहा है, “ठंड हमेशा के लिए नहीं रह सकती और ना ही कोई बसंत अपनी बारी से बच सकता है.” कहने का मतलब ये है कि बुरा दौर हमेशा के लिए नहीं होता. लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में ये बात उलटी पड़ती नजर आ रही है.
रेटिंग कंपनी फिच ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. हालांकि फिच ने सिर्फ भारत के मामले में पूर्वानुमान को कम नहीं किया है. फिच ने कुल 15 देशों के मामले में ऐसा किया है. सम्मिलित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी 3.1 से घटाकर 2.8 फीसदी कर दिया है.
अगर भारत के मामले में हम इस पूर्वानुमान की बात करें तो ये कुछ उद्योगों में आ रही सुस्ती की झलक भर है. उदाहरण के लिए यहां ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तुओं के कारोबार में सुस्ती का माहौल है. यहां खपत में लगातार कमी भी देखी जा रही है.
मिंट यूबीएस सेक्योरिटीज की मुखिया तान्वी गुप्ता जैन के हवाले से लिखता है, “खपत में सुस्ती का दौर चल रहा है, इसका एक कारण एनबीएफसी ( नॉन बैंकिग सेक्टर) कंपनियों में नगदी की कमी है.”
बाजार में सुस्ती की एक झलक कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी के हालिया कारोबारी आंकड़ों से भी दिखाई दे रही है. बीती फरवरी के मुकाबले इस बार मारुति की बिक्री में कमी आई है. इसके चलते मारुति उत्पादन में कमी करने की तैयारी में है.
ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी कमी दर्ज की गई है.
खपत में लगातार आ रही ये कमी उद्योग जगत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है. अब सबकी निगाहें रिजर्व बैंक पर लगी हैं. उम्मीद है कि खपत में हो रही कमी और नगदी की समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है.
उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक अपनी आगामी मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में और कमी करेगा, जिससे कर्ज सस्ता होगा और बाजार में तरलता बढ़ेगी. इससे पहले फरवरी में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की थी.
भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू स्तर पर तो जूझ ही रही है इसे वैश्विक सुस्ती का सामना भी करना पड़ रहा है. इस वजह से भारत का निर्यात भी कम हो रहा है.
कहा जा रहा है कि किसानों को छह हजार रुपये की सालाना मदद से ग्रामीण खपत में कुछ वृद्धि होगी, लेकिन ये कोई हल नहीं हो सकता. इससे खपत में मामूली बढ़त ही संभव है.