इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने लगाई सरकार से न्यूजप्रिंट पर 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी वापस लेने की गुहार


INS requests government to withdraw 10 percent custom duty on newsprint

 

इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने केंद्र सरकार से न्यूजप्रिंट पर लगाई गई 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी को वापस लेने का आग्रह किया है. इस आम बजट में अखबारों और मैग्जीनों में इस्तेमाल होने वाले न्यूजप्रिंट पर 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाई गई है. सोसायटी ने कहा कि विज्ञापनों से होने वाली आमदनी में लगातार गिरावट, बढ़ती लागत और डिजिटल मीडिया के बढ़ते कारोबार के चलते प्रिंट उद्योग पहले ही भारी आर्थिक दबाव का सामना कर रहा है.

उसने कहा, “ सरकार के इस फैसले से पहले ही संकट का सामना कर रहे छोटे और मझोले अखबार का संकट और गहरा जाएगा.” इस समय भारत में सालाना कुल 25 लाख टन न्यूजप्रिंट की खपत होती है जबकि घरेलू प्रिंट उद्योग की क्षमता केवल 10 लाख टन के आस-पास है. बाकी न्यूजप्रिंट का आयात करना पड़ता है.

सोसायटी ने सरकार से गुहार लगाई है कि न्यूज प्रिंट पर लगाई कस्टम ड्यूटी हटाकर भारी आर्थिक दबाव का सामना कर रहे देश के प्रिंट उद्योग को बचाए. वैसे हाल के सालों में मीडिया कारोबार के बदलते समीकरणों से प्रिंट उद्योग को काफी प्रभावित किया है. उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल मीडिया ने खड़ी की है. डिजिटल मीडिया ने जिस तरह से तुरंत समाचार परोसने की संस्कृति को शुरू किया है, उससे अखबारों के सामने गहराई तक मुद्दों के तह में जाने वाले विश्लेषणों की गुजांइश खत्म कर दी है. अखबार पाठकों तक डिजिटल माध्यमों की तरह तुरंत पहुंच भी नहीं पाते. इसका सीधा असर अखबारों के कारोबार पर पड़ा है.

फिक्की की मीडिया एंड एंटरटेनमेंट रिपोर्ट 2019 के अनुसार साल 2018 में प्रिंट उद्योग ने महज 0.7 फीसदी की दर से वृद्धि की. यानी व्यवहारिक तौर पर उसका कारोबार ठहरा रहा. हालांकि इसी साल डिजिटल कारोबार में 26 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई. अखबारों को मिलने वाले विज्ञापन भी 1 फीसदी गिर गए जबकि मैग्जीनों को मिलने वाले विज्ञापनों में 10 फीसदी की गिरावट आई. प्रिंट सर्कुलेशन होने वाली आमदनी से भी प्रिंट उद्योगक के कारोबार पर बहुत असर नहीं पड़ा. साल 2018 में प्रिंट उद्योग को सर्कुलेशन से कुल 29 फीसदी मुनाफ़ा ही हो सका.


Big News