अब वायरस के साथ जीना सीखना जरूरी
कोरोना वायरस संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. कई एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को शून्य कर दिया है. ऐसे में सरकार धीरे-धीरे लॉकडाउन को खोलने और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने का प्रयास कर रही है.
लॉकडाउन में ढील देने से संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा बढ़ गया है. लेकिन आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की अनिवार्यता को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को वायरस के साथ जीना सीखना ही पड़ेगा.
देश में इस समय लॉकडाउन का तीसरा चरण लागू है. हालांकि, इसमें बहुत सी छूट मिली हुई हैं. इस बीच ने रेलवे ने 12 मई से कुछ शहरों के लिए ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है. यह भी कहा जा रहा है कि इस सप्ताह से घरेलू उड़ानें भी शुरू हो सकती हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन खोलने की रणनीति पर चर्चा करने जा रहे हैं. ऐसे में लोगों को समझना होगा कि अब वायरस के डर से सबकुछ बंद नहीं रह सकता और उन्हें पूरी सावधानी बरतते हुए कामकाज करना पड़ेगा.
आने वाले दिनों में स्कूलों और काम के स्थान पर शारीरिक दूरी के नियमों को ध्यान में रखते हुए बैठने की व्यवस्था करनी होगी. भारी संख्या में धार्मिक स्थलों पर इकट्ठा होने से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने से बचना होगा. फेस मास्क अब जीवन का हिस्सा होगा और लोगों को लॉजिस्टिक सेवाओं पर निर्भर रहना होगा.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था बंद नहीं रह सकती, खासकर एमएसएमई सेक्टर. भारत में एमएसएमई के 6 करो़ड़ 30 लाख से अधिक एन्टरप्राइज हैं और वित्त वर्ष 2017 में उन्होंने जीडीपी में 29 प्रतिशत हिस्सेदारी निभाई थी.
कई आर्थिक संस्थान सरकार से आग्रह कर चुके हैं कि उन्हें सुरक्षा के प्रोटोकॉल अपनाकर हर जगह काम करन दिया जाए. अंग्रेजी वेबसाइट लाइव मिंट के अनुसार सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएसन के अध्यक्ष महेंद्र सिंघी ने कहा कि हम नए मानकों के आधार पर खुद को ढाल रहे हैं, जब हम फिर से काम पर जाएंगे तो हमारे माइंडसेट पर सबकुछ निर्भर करेगा.
कई विशेषज्ञों का कहना कि उत्पादन को फिर से पटरी पर लाने के लिए जल्द से जल्ज एमएसएमई सेक्टर को चालू करना होगा. इसके लिए उन्हें नए लोन और कर्ज माफी देनी होगी.
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक नए कोरोना वायरस का टीका विकसित नहीं हो जाता, तब तक लोगों को अपने व्यवहार और दिनचर्या में परिवर्तन करना होगा.