समाचार पत्र नहीं हो रहे प्रकाशित, अपने बारे में लिए जा रहे फैसलों से अनजान हैं कश्मीरी
अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर आजकल वैश्विक तौर पर चर्चा का विषय बना है, लेकिन अपने बारे में लिए जाने वाले फैसलों से कश्मीरी अनभिज्ञ हैं. वहां से आने वाली और उन तक पहुंचने वाली खबरें काफी सीमित हैं. इसका कारण स्थानीय समाचार साधनों पर पाबंदी है. टेलीग्राफ लिखता है कि घाटी में करीब 180 अंग्रेजी और उर्दू के समाचार पत्र हैं, लेकिन इस समय पाबंदी के चलते केवल पांच प्रकाशित हो रहे हैं.
राइजिंग कश्मीर के एसोसिएट एडिटर फैसुल यासीन कहते हैं, “ये हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी स्टोरी है, लेकिन हम इसे प्रकाशित करने में असमर्थ हैं.” राइजिंग कश्मीर उन गिने-चुने समाचार पत्रों में से हैं जो बहुत सीमित खबरों के साथ अभी प्रकाशित हो रहे हैं.
कई समाचार पत्रों के एडिटर और पत्रकारों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर को बताया कि टेलीफोन लाइन और इंटरनेट पर रोक के चलते उनके पास खबरों का कोई साधन नहीं है.
राइजिंग कश्मीर अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र हैं. आमतौर इसमें 12 पेज होते हैं. लेकिन आज के दिनों में इसमें सिर्फ चार पेज आ रहे हैं. इसमें भी अधिकतम खबरें राष्ट्रीय टीवी चैनलों से होती हैं. चार रिपोर्टर इस समय इसके ऑफिस में ही रह रहे हैं और वहीं से समाचार पत्र चला रहे हैं.
कश्मीर के बाहरी इलाकों में जब शाम को प्रतिबंधों में कुछ ढील दी जाती है तब इसकी प्रतियां बांटी जाती हैं. इसके अलावा उर्दू और कश्मीरी भाषा छपने वाले संस्करण फिलहाल प्रकाशित ही नहीं हो पा रहे हैं.
खबरों के प्रसारण का सिलसिला एक तरह से थम ही गया है. मंसूर अहमद समाचार बांटने का काम करते हैं. वे बताते हैं कि इस समय 174 में से सिर्फ पांच समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं. वो भी सिर्फ छपने की जगह से पांच किलोमीटर की परिधि में ही बांटे जा रहे हैं. बाकी जगह प्रतिबंध के चलते उनकी पहुंच ही नहीं है.
उधर भारतीय विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि समाचार पत्रों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है. प्रवक्ता ने कहा, “किसी को कुछ भी प्रकाशित करने से रोका नहीं गया है. सामग्री की अनुपलब्धता के चलते अगर वे प्रकाशन नहीं कर पा रहे हैं तो वो अलग बात है.”
अगर बात श्रीनगर की करें तो यहां पत्रकारों को बिना पास के सुरक्षा चौकियों से आवाजाही में बाधा आ रही है. दो उर्दू समाचार पत्रों के एडिटरों ने बताया कि सूचनाओं की अनुपलब्धता और आवाजाही में रोक के चलते स्टॉफ ऑफिस तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसके चलते उन्होंने प्रकाशन रोक दिया है.
मोरिफत कादरी समाचार पत्र डेली अफाक के एडीटर हैं. कादरी कहते हैं, “यहां तक कि बुरे से बुरे वक्त में प्रेस को कर्फ्यू पास दिए जाते थे.” कादरी कहते हैं कि वे (भारतीय प्रशासन) नहीं चाहते कि कोई वर्तमान स्थिति को दिखाए.