लंबी उम्र के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण
प्रतीकात्मक फोटो
व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उसका रहन-सहन उसके जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है. लेकिन भारत के मामले में इन चीजों का दायरा और आगे बढ़ जाता है. टेलीग्राफ में छपे एक शोध के मुताबिक भारत में जाति, शिक्षा, धर्म और आर्थिक स्थिति व्यक्ति की लंबी आयु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
इस शोध के मुताबिक ऐसे समुदाय जो हिंदू नहीं हैं, अनुसूचित जाति से हैं या जनजाति से हैं, उनकी जिंदगी अपेक्षाकृत छोटी होती है. इसमें अशिक्षित और गरीब लोग भी हैं.
ये शोध सामाजिक विज्ञान के शोधकर्ताओं ने की है. इन लोगों ने पाया कि इस समूह के लोगों की औसत आयु तीन से छह साल कम होती है.
दीर्घ आयु होने में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. शोध के मुताबिक शिक्षित व्यक्ति अशिक्षित व्यक्ति से करीब साढ़े पांच साल अधिक दिन जीवित रहता है. महिलाओं के मामले में ये अंतर कुछ कम हो जाता है. तब ये साढ़े तीन साल हो जाता है.
इस शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने लोगों से सवाल किया और उनके जवाब के आधार पर
औसत निकाला गया. शोधकर्ताओं ने बताया कि ये इस तरह का पहला शोध है जब ये साफ हुआ
है कि सामाजिक-आर्थिक भिन्नता से लोगों की जीवन प्रत्याशा पर बुरा असर पड़ता है.
ये शोध दि जर्नल ऑफ पॉपुलेशन साइंस में प्रकाशित हुआ है.
इस शोध में हिस्सा लेने वाली नंदिता सारिका कहती हैं, “शिक्षा किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा जीवन
प्रत्याशा को प्रभावित करती है.” उन्होंने कहा, “शिक्षा में सुधार किसी अन्य चीज से ज्यादा असरदार होगा.”
इस शोध से साफ हुआ कि जिन महिलाओं के परिवार एक लाख सालाना से ज्यादा कमाते
हैं उनकी आयु उन महिलाओं से जो पचास हजार से कम वाले परिवार से हैं, औसतन तीन साल
अधिक होती है. जबकि ऐसे परिवार के पुरुषों के आयु दूसरे समूह के पुरुषों की तुलना
में पांच साल अधिक होती है.