पांच साल में सबसे कम विकास दर रहने का अनुमान


crisiil scales down gdp growth rate of current fiscal year

 

भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2019 में सात फीसदी से कम रहने का अनुमान है. यह पिछले पांच साल में सबसे कम है. इकॉनोमिक टाइम्स के सर्वे के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में विकास दर के पिछड़ने का प्रभाव चालू वित्त वर्ष पर पड़ सकता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी वजह से आरबीआई ब्याज दर में कमी कर सकता है. इसके साथ ही आनेवाली नई सरकार मांग बढ़ाने और निजी निवेश को बढ़ावा दे सकती है.

अर्थशास्त्रियों के बीच करवाए गए सर्वेक्षण के मुताबिक जनवरी-मार्च की तिमाही में 6-6.3 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान है. इसकी वजह से चालू वित्त वर्ष में विकास दर घट सकती है. इससे पहले 6.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया था.

सांख्यिकी कार्यालय ने फरवरी महीने में वित्त वर्ष 2019 में विकास दर के सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.
सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2019 में विकास दर का अनुमान 31 मई को जारी किया जाएगा.

मार्च महीने की अंतिम तिमाही में चीन की विकास दर 6.4 फीसदी रही है.

कोटक महिन्द्रा बैंक के अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज कहती हैं, “अर्थव्यवस्था कड़े वित्तीय शर्तों, कमजोर वैश्विक और घरेलू मांग को झेल रही हैं.”

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभादा राव कहते हैं कि चौथी तिमाही में मुख्य आर्थिक मानक जैसे कि आईआईपी(इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन), पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स), इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स, ऑटो सेल्स और कार्गो में स्थिरता बनी हुई है. इसके साथ ही ट्रेड वॉर की वजह से वैश्विक मांग में कमी आई है.  चीन और अमेरिका दोनों सामानों पर लगातार टैक्स बढ़ा रहे हैं.

नई सरकार की चुनौती विकास दर को बनाए रखने के लिए ग्राहकों की मांग और निजी निवेश बढ़ाने की होगी.

पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में द इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन(आईआईपी), पीएमआई(पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स), इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स, ऑटो सेल्स और कार्गो क्षेत्र में स्थिरता बनी हुई है. अन्य मानक जैसे कि ऑटोमोबाइल की बिक्री, रेल मालवाहन, पेट्रो उत्पाद की खपत, घरेलू विमानन और गैर तेल, गैर सोना-चांदी और महंगे पत्थर को छोड़कर– की खपत में कमी आई है. जबकि देश में महंगाई की दर काफी कम है. वित्त वर्ष 2018-19 में पिछले पांच साल में पैसेंजर गाड़ी की बिक्री सबसे कम 2.7 फीसदी रही है.

राजकोषीय घाटा को जीडीपी का 3.4 फीसदी रखने के सरकार के फैसले की वजह से सरकारी खर्च में कटौती की गई है. जिसकी वजह से मांग में कमी आई है. सार्वजनिक खर्च और खपत के साथ-साथ कमजोर निजी क्षेत्र में निवेश और निर्यात की वजह से विकास दर में कमी आई है.

एसबीआई ने पिछले वित्त वर्ष के चौथी और अंतिम तिमाही में जीडीपी विकास दर 6.1 फीसदी, एक्सिस बैंक ने 6.1 फीसदी और एचडीएफसी ने 6.1-6.2 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया है.

पिछले वित्त वर्ष में कृषि विकास दर भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी(एनबीएफसी) पैसे की कमी से जूझ रहे हैं.

ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मांग में वृद्धि लाने के लिए आरबीआई अपने दरों में कमी ला सकता है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 में आर्थिक विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.


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