मप्र डायरी: बीजेपी सांसद सरकार से दिलवाएंगे प्रदेश का हक?


Madhya Pradesh Diary: How will BJP MP get the right to the state from the Modi government

 

मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में ये चर्चाएं जारी हैं कि प्रदेश का प्रतिनिधित्‍व करने वाले 28 बीजेपी सांसद अपनी पार्टी की केन्‍द्र सरकार से कैसे मध्य प्रदेश का हक दिलवाएंगे? मामला प्रदेश की जनता की समस्‍याओं को दूर करने वाली योजनाओं का धन रोकने से जुड़ा है.

मध्य प्रदेश सरकार ने आरोप लगाया था कि केन्‍द्र ने इस बार के बजट में उसके हिस्‍से की करीब तीन हजार करोड़ की राशि घटा दी है. इसके अलावा प्रदेश को उसके हिस्‍से का पैसा भी समय पर नहीं मिला. केन्‍द्र कई योजनाओं में प्रदेश का पैसा रोक कर बैठा है.

इनमें से बड़ी रकम उन योजनाओं की हैं जिनसे जनता का हित सीधे सीधे जुड़ा है. मसलन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 14 हजार गांवों पेयजल उपलब्ध कराने के लिए योजना में केंद्र सरकार को अपना 50 प्रतिशत हिस्सा देना था. मोदी सरकार ने 598 करोड़ रुपए की यह राशि अब तक जारी नहीं की है। सड़कों के निर्माण और उन्नयन के लिए सेंट्रल रोड फंड के 498.96 करोड़ रुपए भी केंद्र ने प्रदेश को अब तक जारी नहीं किए.

और तो और किसानों की समस्‍याएं दूर करने के लिए लाई गई भावांतर योजना में भी 2017 के 576 करोड़ रुपये, खरीफ 2018 के 321 करोड़ सहित कुल 1017 करोड़ रुपये बकाया हैं. मुख्‍यमंत्री कमलनाथ इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर चुके हैं. विभिन्‍न मंत्री भी दिल्‍ली में केंद्रीय मंत्रियों से मिल कर पैसा मांग चुके हैं. लेकिन बात नहीं बनी.

अब कांग्रेस प्रदेश की विभिन्न योजनाओं की बकाया राशि पाने केन्‍द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रदेश के 28 बीजेपी सांसदों से संपर्क कर रही है. इन सांसदों को पत्र लिखकर कहा जाएगा कि वे प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध कर प्रदेश का पैसा दिलावाएं. इस बारे में सांसद तो ठीक मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता भी मौन हैं.

मध्य प्रदेश के हक पर कब्‍जा, गुजरात की राजनीति हावी

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का शासन है और गुजरात में बीजेपी लंबे समय से सत्‍ता में हैं. यही कारण है कि नर्मदा बांध परियोजनाओं के प्रभावितों के बिना पुनर्वास डूबने और गिर के शेर को मध्य प्रदेश शिफ्ट करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इनके क्रियान्‍वयन में गुजरात सरकार ‘भरपूर’ राजनीति कर रही है.

मध्य प्रदेश के हक पर कब्‍जा कर बैठी गुजरात की बीजेपी सरकार को हजारों लोगों का डूब जाना मंजूर है मगर अपने यहां से सरदार सरोवर बांध का पानी छोड़ना स्‍वीकार्य नहीं है.

सरकार के इस अड़ियल रवैये के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन सत्याग्रह पर है. रविवार को इस सत्‍याग्रह का आठवां दिन था. मध्य प्रदेश सरकार बार-बार आग्रह कर चुकी है मगर केंद्र और गुजरात सरकार की हठधर्मिता के कारण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात में हजारों परिवार नीतिगत पुनर्वास के बिना डूब का सामना करने को मजबूर हैं.

राहत की बात इतनी है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने आंदोलन के साथ संवाद शुरू किया है. लेकिन जलस्तर बढ़ाने वाली गुजरात सरकार व जलस्तर बढ़ाने का आदेश देने वाली एनसीए ने इस व्यापक जनहत्या के प्रयास पर चुप्‍पी साध रखी है. मांग केवल इतनी है कि जब तक 32 हजार परिवारों में से सभी का पुनर्वास नहीं होता है, तब तक बांध के गेट खुले रखे जाएं. गुजरात का ऐसा ही रूख गिर के शेर को लेकर भी है.

गिर में किसी प्राकृतिक आपदा से संभावित जोखिम और शेर के लिए जगह की कमी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छह साल पहले मध्य प्रदेश की कूनो वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य में शेरों को भेजने को कहा है. मगर बीजेपी सरकार इसे गुजरात की अस्मिता का मुद्दा बना कर लगातार टाल रही है.

खत्‍म नहीं हुआ व्‍यापमं घोटाला, नए सिरे से होगी जांच

बीजेपी सरकार के दौरान देशभर में चर्चित हुआ व्‍यापमं भर्ती घोटाले की फाइल दफन नहीं हो रही है. न ही इसमें सीबीआई द्वारा दी गई क्‍लीन चिट अंतिम कदम हो गया है. कांग्रेस सरकार अपने अपने वचन-पत्र में किए गए वादे के अनुरूप व्यापमं घोटाले की जांच को गति दे दी है. इसके लिए तीन एसआईटी बनाई गई हैं. ये लगभग 1200 शिकायतों की जांच करेगी और 50 से अधिक संदिग्ध मौतों के लिए कुख्यात व्यापमं घोटाले के वास्तविक दोषियों का पता लगाएगी.

भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में बनी एसआईटी की टीमों का नेतृत्व जिलों के एसटीएफ अधीक्षक कर रहे हैं. व्यापमं से जुड़ी इन शिकायतों की जांच का जिम्मा पहली बार एसटीएफ को मिला है. ये वो सारी शिकायतें हैं जो 2015 से तत्कालीन शिवराज सरकार के वक्त से धूल खा रही थीं. जांच के परिणामों के आधार पर प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल के आसार देखे जा रहे हैं.


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