मेघालय में पत्रकारों पर नकेल कसने की कोशिश!


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  पैट्रिशिया मुखिम/ फेसबुक

मेघालय हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक बेहद डरावना फैसला सुनाया है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मेघालय हाईकोर्ट ने दो महिलाओं पैट्रिशिया मुखिम और शोभा चौधरी को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराते हुए दो-दो लाख रुपए जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई है. पैट्रिशिया मुखिम और शोभा चौधरी शिलॉन्ग के मशहूर अखबार शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक और पब्लिशर हैं. कोर्ट ने आदेश सुनाया है कि अगर एक हफ्ते के भीतर जुर्माना जमा नहीं किया गया तो दोनों को 6 महीने के लिए जेल में बंद कर दिया जाएगा और अखबार शिलॉन्ग टाइम्स पर बैन लगा दिया जाएगा. इसके साथ ही फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने पूरे दिन की कोर्ट की कार्यवाही खत्म होने तक दोनों को कोने में बैठे रहने को भी कहा.

कोर्ट ने यह फैसला पिछले 6 और 10 दिसम्बर को शिलॉन्ग टाइम्स अखबार में छपी दो रिपोर्ट्स को लेकर सुनाया है. ये दोनों रिपोर्ट्स रिटायर्ड जजों और उनके परिवारों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के कोर्ट के आदेश के बारे में थीं.

अखबार में छपी दोनों रिपोर्ट्स खासतौर पर ‘वेन जजेस जज फ़ॉर देमसेल्वेस’ को लेकर कोर्ट ने नोटिस जारी किया था. अखबार में छपी इस रिपोर्ट के अनुसार मेघालय हाईकोर्ट के जज एसआर सेन, जो संयोगवश शुक्रवार को ही रिटायर हुए, रिटायर मुख्य न्यायाधीशों, न्यायधीशों और उनके परिवार वालों के लिए बहुत सी सुविधाएं मुहैया कराना चाहते थे. इन सुविधाओं में जजों की पत्नियों और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर जजों के लिए 10 हजार रुपए की इंटरनेट सेवा और 80 हज़ार रुपए तक के मोबाइल और घरेलू सहायता तक शामिल हैं.

एसआर सेन ने पैट्रिशिया मुखिम को नोटिस जारी करते हुए लिखा था कि मुखिम खुद कोर्ट में पेश हों और बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला क्यों ना चलाया जाए. इसी नोटिस में यह भी कहा गया था कि ये बहुत स्तब्ध करने वाला है कि अखबार ने कानून और मामले की तह तक जाए बिना रिपोर्ट्स लिखी हैं, यह कोर्ट, जजों और न्याय व्यवस्था के प्रति अपमानजनक है.

13 दिसंबर को पैट्रिशिया मुखिम और शोभा चौधरी कोर्ट में पेश हुई थीं. इस दिन एसआर सेन ने जजों के बारे में लिखने पर उनकी योग्यता पर सवाल उठाया था. वहीं एक फरवरी को दोनों ने बिना किसी शर्त इस मामले में कोर्ट से माफी मांग ली थी. लेकिन कोर्ट ने कहा कि माफी मांगना सजा से बचने की सोची समझी रणनीति है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि अखबार में ‘जजेज जज फ़ॉर देमसेल्वेस’ के शीर्षक से छपी रिपोर्ट बिना तथ्यों के आधार पर लिखी गई है. इसका एकमात्र मकसद कोर्ट के आदेश को स्केंडलाइज करना है. कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया का काम सही खबरों को पब्लिश करना है ना कि तथ्यहीन बातें लिखकर न्याय व्यवस्था को बदनाम करना.

अखबार में छपी रिपोर्ट्स के अलावा कोर्ट ने पैट्रिशिया मुखिम द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी गई टिप्पणियों पर भी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि पेट्रीसिया मुखिम ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट् से न्याय व्यवस्था का मज़ाक उड़ाया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या पेट्रीसिया मुखिम अपने हिसाब से न्याय व्यवस्था को चलाना चाहती हैं.

असल में 18 दिसंबर को पेट्रीसिया मुखिम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी थी. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि मैं अपने दोस्तों और कानूनी क्षेत्र के जानकरों से यह पूछना चाहती हूं कि क्या कोर्ट में ऐसा माहौल बनाया जाना सही है जहां आरोपी कुछ बोल ही ना पाए और क्या आरोपी के वकील को जज द्वारा बिल्कुल चुप रहने को कहा जाना चाहिए.

कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिलॉन्ग टाइम्स बहुत समय से जजों और न्याय व्यवस्था के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए है. कोर्ट ने टिप्पणी की “हमारा काम कानून के हिसाब से फैसले सुनाना है. हम यहां न्यायिक एक्टिविज्म नहीं कर रहे हैं और ना ही नोटिस देकर किसी को डरा धमका रहे हैं.”

यहां हम आपको बता दें कि जज एसआर सेन पिछले साल दिसंबर में अपने एक आदेश के चलते सुर्खियों में आए थे. अपने एक आदेश में जज एस आर सेन ने लिखा था कि किसी को भी भारत को इस्लामिक देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए अन्यथा यह भारत और पूरे विश्व के लिए भयावह होगा. उनकी इस टिप्पणी पर जब हंगामा हुआ तो उन्होंने कहा कि इसकी गलत व्याख्या की गई है और यह किसी भी तरह से राजनीति से प्रेरित नहीं है.

वहीं शिलॉन्ग टाइम्स की वयोवृद्ध एडिटर पेट्रीसिया मुखिम अपने शानदार करियर के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने बलात्कार और यौन शोषण के खिलाफ हमेशा अपनी आवाज को मुखर किया है. पिछले साल अज्ञात लोगों ने उनके घर में पेट्रोल बम फेंक दिया था. बहरहाल यह कयास लगाया जा रहा है कि पैट्रिशिया मुखिम और शोभा चौधरी मेघालय हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देंगी.


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