मोदी सरकार ने रोके किसानों के 1017 करोड़ रुपये: कांग्रेस


modi government stops rupees 1017 crore of farmers from madhya pradesh

 

कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने राज्य के किसानों के 1017 करोड़ रुपये रोक दिए हैं.

प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि एक ओर तो राज्य की पूर्व बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश को आर्थिक रुप से बदहाली की स्थिति में ला दिया है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने प्रदेश के साथ भेदभाव कर राज्य के लाखों किसानों के भावांतर भुगतान योजना के 1017 करोड़ रुपये रोक दिए हैं.

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा और उपाध्याक्ष अभय दुबे ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘प्रदेश में कांग्रेस को आर्थिक बदहाली के हालत में सरकार मिली थी. प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कमलनाथ सरकार दृढ़ता से प्रदेश की तरक्की में लगी हुई है. लेकिन मोदी सरकार ने लाखों किसानों के भावांतर भुगतान योजना के 1017 करोड़ रुपये रोक दिए हैं.खरीफ 2017 के 576 करोड़, खरीफ 2018 सोयाबीन के 321 करोड़ और अतिरिक्त छह लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदी के 120 करोड़ रुपये का भुगतान रोक दिया है.’’

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं मोदी सरकार ने मध्य प्रदेश के केंद्रीय करों के हिस्से के 2000 करोड़ रुपये भी कम कर दिए हैं. प्रदेश को इस मद में 59,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने थे जिसे कम करके 57,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसी तरह शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाली राशि में भी 500 करोड़ रुपये कम दिए हैं.

शोभा ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ हर संभव कोशिश कर रहे है कि प्रदेश के किसानों को न सिर्फ उनकी फसलों के उचित दाम मिले, बल्कि कर्ज में डूबे किसानों को कर्ज से मुक्त किया जाए.

उन्होंने कहा बीजेपी नेताओं ने किसानों की कर्ज माफी योजना में भ्रम फैलाकर रोड़े अटकाना आरंभ कर दिया है. वह इसलिए क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती थी कि प्रदेश के 50 लाख किसानों का 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफी अभियान सफल हो पाए.

उन्होंने कहा कि कमलनाथ की दृढ़इच्छा शक्ति का परिणाम है कि 25 लाख किसानों का अगले दो लाख रुपये तक का कर्ज दो दिन में माफ हो रहा है और यह प्रक्रिया 50 लाख किसानों की कर्ज माफी तक जारी रहेगी.

इसके अलावा शोभा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने किसानों के हक में एक और बड़ा निर्णय लेते हुए 10 एचपी तक के पंप वाले किसानों की बिजली दर को 1400 रुपये प्रति एचपी से घटाकर आधी यानी 700 रुपये कर दिया गया है.

इस तरह मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां किसानों को सबसे सस्ती यानी 44 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाएगी. इससे प्रदेश के नौ लाख किसान लाभान्वित होंगे.


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