हेट क्राइम के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं दलित
फाइल फोटो
आजादी के सात दशकों बाद जब समाज के सभी तबकों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की बात की जा रही है, घृणा अपराध जैसी सामाजिक कुरीतियां बदस्तूर जारी हैं. इस तरह के अपराधों का सबसे बड़ा शिकार दलित समुदाय हो रहा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक कुल घृणा अपराधों में से 65 फीसदी केवल दलितों के साथ होते हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल की वेबसाइट ‘हाल्ट द हेट’ एक इंटरेक्टिव प्लेटफार्म है.
इस वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल 218 ऐसे मामले चिह्नित किए गए, जिसमें से 142 मामलों में दलितों को घृणा अपराध का शिकार बनाया गया था. इसमें 50 मामलों में मुस्लिमों को शिकार बनाया गया था और आठ मामलों में ईसाई, आदिवासी और ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ अपराध हुआ था.
इन अपराधों में 97 ऐसे मामले थे जहां घृणा के चलते हमला किया गया था और 87 मामलों में हत्या जैसे कृत्य को अंजाम दिया गया था. इस दौरान दर्ज किए गए 40 यौन हिंसा के मामलों में से 33 में पीड़ित महिला दलित समाज से थी.
एमनेस्टी के मुताबिक लगातार तीसरे साल उत्तर प्रदेश ऐसे अपराधों में पहले स्थान पर रहा. यहां घृणा अपराध के 57 मामले दर्ज किए गए. गुजरात में 22 ऐसे मामले दर्ज किए गए जबकि राजस्थान 18 घृणा अपराध मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के कार्यकारी निर्देशक आकार पटेल कहते हैं, “सुधार के लिए पहला कदम न्याय सुनिश्चित करना और अपराधियों को छूट ना देना है. ऐसे मामलों को उजागर करना भी महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा “इसके लिए न्यायिक सुधार भी जरूरी हैं, आने वाले चुनाव के बाद जो सरकार आए उसे चाहिए कि ऐसे मामलों की पहचान के लिए कदम उठाए और जवाबदेही तय करे.”
पटेल ने स्वीकार किया कि घृणा अपराध का दायरा बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा कि हमारी वेबसाइट पर जो आंकड़े मौजूद हैं वो पूरी घटनाओं का सिर्फ एक स्नैप शॉट भर हैं. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में पुलिस या मीडिया में रिपोर्ट ही नहीं होती है. इस तरह वो सामने नहीं आ पाते.
एमनेस्टी सितंबर 2015 में अखलाक की लिंचिंग के बाद से ऐसे मामलों पर नजर रख रहा है. मोहम्मद अखलाक उत्तर प्रदेश के दादरी के निवासी थे, जिनकी भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी. दादरी की घटना के बाद से अब तक एमनेस्टी ने घृणा अपराध के 721 मामले दर्ज किए हैं.