मप्र डायरी: उजागर हो रही सरकार गिराने की साजिशें
मध्य प्रदेश में बीते कुछ सालों में जिस्मफरोशी की आड़ में ब्लैकमेलिंग के काले धंधे ने गहरी जड़ें जमा ली हैं. दिग्गज नेताओं, बड़े अफसरों और धनपतियों के साथ वीडियो बना कर उनसे धन वसूली, ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल के सबूत एक-एक कर खुल रहे हैं.
इंदौर में नगर निगम के इंजीनियर को वीडियो का डर दिखा कर ब्लैकमेल करने के गिरोह के खुलासे के बाद प्रदेश में तीसरी हनीट्रैप गैंग का खुलासा हो चुका है. दूसरा गिरोह भोपाल निशातपुरा क्षेत्र से और तीसरा भोपाल के ही कोलार इलाके में पकड़ा गया. अब तक की जांच में पता चला है कि पहले गैंग का कनेक्शन दूसरे से और दूसरे का तीसरे से है. हनी ट्रेप का मामला केवल जिस्मफरोशी या ब्लैकमेलिंग का ही नहीं है बल्कि इसके पीछे सरकार गिराने और राजनीतिक साजिश करने के षड्यंत्रों का खुलासा हो रहा है.
पुलिस के अंदरूनी सूत्रों से मिल रही सूचनाएं बता रही हैं कि बीजेपी के पूर्वमंत्री सहित अन्य नेताओं ने इन महिलाओं का उपयोग कर कांग्रेस सरकार को गिराने की रणनीति बनाई थी. इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि जांच कर रही एसआईटी को इन युवतियों के पूर्व सांसद, केन्द्रीय मंत्री, राज्य के कद्दावर मंत्री, बीजेपी संगठन के ताकतवर पदाधिकारियों के साथ वीडियो तथा संपर्क के सबूत मिले हैं.
बीजेपी या संदेह से देख जा रहे उसके नेताओं की ओर से अभी मीडिया में प्रसारित हो रही इन खबरों का कोई खंडन नहीं आया है. राज्य के पूर्व गृहमंत्री बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह ने जरूर मीडिया में चर्चा के दौरान हनी ट्रेप की मुख्य आरोपी महिला से अपने परिवार की नजदीकियों की खबरों का खंडन किया था लेकिन उनके खंडन के कुछ देर बाद ही एक निजी समारोह में पूर्व गृहमंत्री सिंह की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी के करीब बैठी आरोपी महिला का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
वर्तमान में सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह कह चुके हैं कि युवतियों का इस्तेमाल करते हुए विधायकों को ब्लैकमेल कर सरकार गिराने की साजिश रची जा रही थी. इस मामले में निष्पक्ष जांच होगी और कोई दोषी बचेगा नहीं.
सीनियर आईपीएस आमने-सामने, जांच पर निगाहें
हनी ट्रेप कांड के खुलासे ने राजनीति को ही नहीं गर्माया असली भूचाल तो प्रशासनिक जगत में आया है. बेडरूम वीडियो वायरल होने के बाद सीएम कमलनाथ ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव पीसी मीना को सरकार ने हटा दिया था. अब हनी ट्रैप मामले को लेकर डीजीपी वीके सिंह और स्पेशल एडीजी पुरुषोत्तम शर्मा के बीच विवाद खड़ा हो गया है.
दरअसल, साइबर सेल और एसटीएफ के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा का आरोप है कि विभाग द्वारा गाजियाबाद में लिए गए फ्लैट को हनी ट्रैप मामले से जोड़ने और उनके नाम को घसीटने की कोशिश डीजीपी वीके सिंह के द्वारा की जा रही है. डीजीपी सिंह ने गाजियाबाद के फ्लैट के हनी ट्रैप मामले से तार जुड़े होने की वजह से उसे खाली करा लिया है.
फ्लैट खाली कराए जाने से नाराज स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी और उसका सुपरविजन करने वाले डीजीपी वीके सिंह पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
शर्मा ने मांग की है कि पुलिस मुख्यालय के बाहर के डीजी रैंक के अधिकारी से पूरे मामले का सुपरविजन करानी चाहिए. सरकार इस विवाद पर गंभीर हो गई है. माना जा रहा है कि सच समाने आने के बाद स्पेशल डीजी या फिर डीजीपी पर ऐसी ही कोई कार्रवाई हो सकती है जैसी एसीएस प्रकरण में की गई थी.
मेट्रो पर कमलनाथ ने फेंका तुरूप का पत्ता
मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस सरकार कई काम तेजी से कर रही है. मगर काम में बीजेपी और कांग्रेस के बीच श्रेय का संघर्ष शुरू हो जाता है.
भोपाल मेट्रो के शिलान्यास के साथ ही एक बार फिर श्रेय की लड़ाई शुरू हो गई है. इंदौर में भी मेट्रो के शिलान्यास पर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि उनके महापौर रहते मेट्रो की योजना बनी थी. भोपाल में शिलान्यास के बाद बीजेपी ने दावा किया है कि मेट्रो प्रोजेक्ट केंद्र में मोदी और प्रदेश में शिवराज सरकार की देन है.
कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रोजेक्ट की शुरुआत ही तब हुई थी जब वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ केंद्र में मंत्री थे. स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंच से अतीत को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने मेट्रो के लिए बीजेपी सरकार की सहायता की थी. इतनी ही नहीं, उन्होंने भोपाल मेट्रो का नाम भोज मेट्रो रखने की घोषणा कर दी. इस पर कांग्रेस में विरोध के स्वर जरूर उठे लेकिन नामकरण को लेकर बीजेपी के हाथ से एक मुद्दा चला गया. बल्कि बीजेपी ने तो मुख्यमंत्री नाथ के इस निर्णय का स्वागत ही किया.
माना जा रहा है कि निकाय चुनाव में फायदा उठाने की गरज से बीजेपी नामकरण पर विवाद कर सकती थी मगर कमलनाथ ने शिलान्यास के समय ही इस मुद्दे को शून्य कर दिया. बीजेपी एक दिन बाद नगर निगम बैठक में भोपाल का नाम भोजपाल रखने का प्रस्ताव ले आई मगर यह हंगामें की भेंट चढ़ गया.