जयंती विशेषः लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के पैरोकार गांधी
2 अक्टूबर साल 1869 में गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने आगे चलकर स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत में लोकतांत्रित और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की स्थापना में अहम योगदान दिया. उनके पिता करमचंद गांधी ब्रिटिश राज में काठियावाड़ की रियासत के दीवान थे. उनकी माता का नाम पुतलीबाई था.
13 साल की छोटी उम्र मे गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ. गांधी की मिडिल शिक्षा पोरबंदर से हुई थी और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट से हुई थी.
साल 1887 में उन्होंने अहमदाबाद से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की. उसके बाद वो यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से कानून की पढ़ाई करने लंदन चले गए. इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी कर वे भारत लौटे. उन्होंने बॉम्बे में वकालत शुरू की लेकिन उसमें उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली.
इसके बाद वे वकालत करने दक्षिण अफ्रीका चले गए. गांधी 1915 में भारत लौटे और साल 1918 में चंपारण सत्याग्रह अंदोलन में उन्हें सफलता मिली. वहां किसानों को नील की खेती करनी पड़ी रही थी, जिससे उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा था.
साल 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की हुई. आंदोलन का लक्ष्य विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना था.
साल 1930 में दांडी यात्रा की शुरूआत हुई. इस आंदोलन में हजारों भारतीयों ने भाग लिया.
भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 में शुरू हुआ. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया.
देश को गांधी के ही अहिंसा के रास्ते पर चलकर 15 अगस्त, 1947 में स्वतंत्रता हासिल हुई.