विपक्षी नेताओं ने श्रीनगर हवाई अड्डे से लौटाए जाने को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस दिल्ली भेज दिया गया है. एयरपोर्ट से लौटाए जाने के बाद सभी नेताओं ने बडगाम जिला अधिकारी को पत्र लिखकर हिरासत में लिए जाने को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है. ये सभी नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में स्थिति का जायजा लेने गए थे.
विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, केसी वेणुगोपाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके नेता तिरुची शिवा, शरद यादव, टीएमसी के नेता दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी नेता माजिद मेमन और सीपीआई महासचिव डी राजा शामिल हैं.
एयरपोर्ट से लौटाए जाने के बाद सभी नेताओं ने बडगाम जिला अधिकारी को पत्र लिखकर हिरासत पर आपत्ति दर्ज की है. पत्र में कहा गया कि हमारे कश्मीर जाने पर सरकार ने जो आपत्ति या डर व्यक्त किया है वो सब निराधार है. हम यहां पर राज्यपाल के न्योते पर आए थे, जिन्होंने कहा था कि खुद आकर देखें कि कश्मीर में शांति है और सब कुछ सामान्य है. हम कश्मीर इसलिए आए थे ताकि हम वहां के लोगों को बता सकें कि हम उनके साथ हैं. हम चाहते हैं कि घाटी में जल्द से जल्द शांति लौटे.
राहुल गांधी ने कहा, “कुछ दिनों पहले मुझे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने खुद कश्मीर आने का निमंत्रण दिया था. मैंने उनका न्यौता स्वीकार किया था. हम जानना चाहते थे कि लोगों के साथ वहां क्या हो रहा है? लेकिन हमें एयरपोर्ट से बाहर नहीं आने दिया गया. हमारे साथ गए मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी और मारपीट की गई. यह बात साफ है कि कश्मीर में कुछ भी ठीक नहीं है.
वहीं, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “हमें शहर के अंदर नहीं जाने दिया गया. जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं. हमारे विमान में मौजूद यात्रियों ने हमें कश्मीर की जो कहानी बयां की वो पत्थर के भी आंसू ला देगी.”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रेस स्टेटमेंट जारी करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की निंदा की है. पार्टी ने इसे दिनदहाड़े संविधान से प्राप्त अधिकारों की लूट बताया है. पार्टी ने कहा है कि यह राजनीतिक दलों के अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाकर लोगों को संबोधित करने के मूल अधिकारों पर हमला है.
पार्टी ने साथ ही श्रीनगर एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा मीडियाकर्मियों के साथ की गई बदसलूकी की भी निंदा की है. पार्टी ने इसे अभिव्यक्ति को दबाने का कुत्सित प्रयास बताया है.
साथ ही पार्टी ने प्रश्न पूछा है कि सरकार अगर दावा कर रही है कि कश्मीर में सब ठीक है तो यह राजनीतिक दलों को लोगों से मिलने क्यों नहीं दे रही है.
विपक्षी नेताओं के इस प्रतिनिधिमंडल में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, राजद के मनोज झा, द्रमुक के तिरुचि शिवा, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी और कुछ अन्य दलों के नेता शामिल हैं.
इससे पहले जब इन नेताओं ने 23 अगस्त को घाटी का दौरा करने की घोषणा की थी तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनसे घाटी में ना आने की अपील की थी.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी को कश्मीर आने का न्योता दिया था. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई की मांग करते हुए 22 अगस्त को दिल्ली में प्रदर्शन भी किया था.
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों को बांटने का कदम उठाया.
इसके मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के कई इलाकों में एहतियातन भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई और मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं.
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया या नजरबंद किया गया.