पीएम मोदी की ‘सराब’ पर विपक्ष की ‘नशा-मुक्ति’
मेरठ की चुनावी रैली में दिए गए ‘सराब’ वाले बयान पर पीएम मोदी को विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती तक ने पीएम के इस बयान को लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ बताया है.
दरअसल बुधवार को मेरठ की एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने गठबंधन के दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने तीनों दलों के पहले शब्द को लेकर एक नया शब्द ‘सराब’ इजाद कर दिया और कहा कि गठबंधन के रूप में इस शराब का सेवन सूबे की सेहत के लिए हानिकारक होगा.
पीएम मोदी ने कहा, “इस शराब का सेवन उत्तर प्रदेश और देश दोनों के लिए ही हानिकारक होगा, यह शराब आपको बर्बाद कर देगी.”
पीएम मोदी का इतना कहना था कि विपक्ष के नेताओं ने उन्हें निशाने पर ले लिया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया कि टेलीप्रॉम्पटर की वजह से पीएम मोदी को शब्दों का भ्रम हो गया है. अखिलेश ने लिखा कि पीएम ‘सराब’ और ‘शराब’ के बीच का अंतर नहीं जानते हैं. अखिलेश ने कहा कि शराब का मतलब मृगतृष्णा है अर्थात् एक धुंधला सा सपना जो कभी पूरा नहीं होता. उन्होंने लिखा कि बीजेपी पिछले पांच साल से जनता को ऐसा ही सपना दिखा रही है और अब जब चुनाव आ गए हैं तो बीजेपी नए सपने दिखाने लगी है.
कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सपा, रालोद एवं बसपा को ‘सराब’ कहकर निशाना साधे जाने को लेकर उन पर देश के लोकतंत्र का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और कहा कि मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री ने राजनीतिक पार्टियों की शराब से तुलना कर पूरे देश और प्रजातंत्र का मजाक उड़ाया है. आप अपने शब्द वापस लीजिए या फिर माफी मांगिए.”
उन्होंने कहा, “मायावती जी और दूसरे नेताओं से इनका विरोध हो सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री ने जिस भाषा में बात की है उससे उन्होंने भारत की संस्कृति को मिट्टी में मिलाने का काम किया है.”
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती भी पीएम के इस बयान की निंदा करने में पीछे नहीं रहीं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मेरठ में दिए गए बयान से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ताक पर रख दिया है. उन्होंने लिखा कि पीएम का यह बयान ना केवल गठबंधन से उनके डर बल्कि उनकी जातिवादी और विकृत मानसिकता को भी दर्शाता है.
उधर राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी पीएम के इस बयान की निंदा की. उन्होंने भी ट्वीट करके पीएम को शब्दों की सही समझ रखने की हिदायद दी.
वहीं सोशल मीडिया पर पीएम के इस बयान के जवाब में अलग-अलग तरह से चुटकी ली जा रही है. कई उपयोगकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी के ‘न’ और अमित शाह के ‘शा’ को एक साथ जोड़कर लिखा है कि इस बार के चुनाव में देश को ‘नशा-मुक्ति’ चाहिए.
बहरहाल, विपक्षी नेताओं की इस तीखी प्रतिक्रिया पर बीजेपी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में भी इस प्रकार की निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग धड़ल्ले से हुआ था. तब ऊंचे ओहदों पर बैठे नेताओं ने अपने विरोधियों के खिलाफ ‘कसाब’ और ‘गुजरात के गधे’ जैसे शब्दों का प्रयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.