एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह सकता है पाकिस्तान: रिपोर्ट
एक खबर के अनुसार, पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में गंभीर जोखिम का सामना कर रहा है. पाकिस्तान ने ग्रे सूची में शामिल किए जाते वक्त एफएटीएफ द्वारा सुझाई गई 40 में से केवल एक सिफारिश का पालन किया है.
एपीजी ने छह अक्तूबर को 228 पेज की आपसी मूल्यांकन रिपोर्ट निकाली थी. यह रिपोर्ट एफटीएफ की मीटिंग से पहले निकाली गई. यह रिपोर्ट पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने का फैसला करेगी.
एपीजी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने के संकेत हैं. एफटीएफ की मीटिंग पेरिस में अक्तूबर 13 और 18 के बीच होगी.
इसके अलावा पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हाल में दिए गए बयान पर आपत्ति जताई है. राजनाथ ने एक बयान में कहा था कि एफएटीएफ किसी भी वक्त पड़ोसी देश को काली सूची में डाल सकता है. पाकिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय धनशोधन निगरानी संस्था के कामकाज को राजनीतिक रंग देने का भारत का प्रयास बताया है.
पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को पिछले साल ग्रे सूची में डाल दिया था. उस समय पाकिस्तान को अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी गई थी. साथ ही ऐसा नहीं करने पर ईरान और उत्तर कोरिया के साथ काली सूची में डाले जाने के खतरे का सामना करने की चेतावनी दी गई थी.
राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह रक्षा लेखा विभाग दिवस के अवसर पर कहा था कि एफएटीएफ किसी भी समय पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए काली सूची में डाल सकता है.
विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा कि सिंह के बयान एफएटीएफ की कार्यवाही को राजनीतिक रंग देने की भारत की कोशिशों को लेकर पाकिस्तान की चिंता को पुष्ट करते हैं.
उसने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत का यह रुख और स्पष्ट भेदभाव एशिया-प्रशांत संयुक्त समूह की सह-अध्यक्षता करने की भारत की प्रामाणिकता पर भी सवाल खड़ा करते हैं जो एफएटीएफ की कार्ययोजना को लागू करने में पाकिस्तान की प्रगति की समीक्षा करता है.
एफओ ने कहा, ‘‘इस संबंध में हमारी चिंताओं से पहले भी एफएटीएफ के सदस्यों को अवगत कराया गया था.’’
पाकिस्तान ने भारत पर उसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश करने के लिए अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए एफएटीएफ से इस पर संज्ञान लेने को कहा है.