अशक्त जनों पर मोदी का ‘मजाक’ अपमानजनक: NPRD


PM tried to portray dyslexic people in poor light says NPRD

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिस्लेक्सिया पीड़ित लोगों पर दिए गए अपने असंवेदनशील बयान के लिए  कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं. नेशनल प्लेटफार्म फॉर द राइट्स ऑफ डिसेबल (एनपीआरडी) ने बयान की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री से अशक्त जनों से माफी मांगने को कहा है.

एनपीआरडी ने प्रधानमंत्री के बयान को ‘असंवेदनशील’ और ‘अपमानजनक’ बताया है.

संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश के उच्च और गरिमामयी पदों पर बैठे व्यक्ति को इस तरह के बयान शोभा नहीं देते हैं. उनके मुताबिक प्रधानमंत्री का बयान अशक्त लोगों के प्रति  प्रधानमंत्री की समझ पर सवाल खड़े करता है.

संगठन ने अपने बयान में कहा,”प्रधानमंत्री को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए, आप किसी भी परिस्थिति में इस तरह का बयान नहीं दे सकते हैं. दिव्यांगता अधिकार विधेयक 2016 के तहत इस तरह का बयान देना अपराध की श्रेणी में आता है.”

बीते हफ्ते ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019’ के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में देहरादून की एक छात्रा ने पीएम नरेंद्र मोदी को बताया कि “हमारे पास डिस्लेक्सिया पीड़ितों बच्चों के लिए एक आइडिया है, जो पढ़ने-लिखने में बेहद धीमे होते हैं, लेकिन उनका क्रिएटिविटी लेवल काफी अच्छा होता है. हम यह फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में देख चुके हैं.”

प्रश्न पूछने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रा को बीच में रोकते हुए कहा कि “क्या यह प्रोग्राम 40-50 साल के बच्चे के लिए भी फायदेमंद होगा.” जिसके बाद बच्चे हंसने लगते हैं और वो आगे कहते हैं कि “अगर ऐसा है तो ऐसे बच्चों की मां बहुत खुश होगी.” माना गया कि उन्होंने इस बात से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी की ओर इशारा किया था.

एनपीआरडी ने बयान में कहा कि “छात्रा के सवाल का जवाब देने की जगह प्रधानमंत्री ने मौके का इस्तेमाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी पर निशाना साधने के लिए किया. उन्होंने एक ऐसा असंवेदनशील बयान दिया जिसकी जरूरत नहीं थी, उनके  बयान से डिस्लेकसिया पीड़ित व्यक्ति की गलत छवि बनती  है. प्रधानमंत्री जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ये बिल्कुल भी शोभनीय नहीं है.”

सीपीएम प्रमुख सीताराम युचुरी ने प्रधानमंत्री के बयान पर दुख जाहिर करते हुए कहा, “शर्मनाक और दुखद. हमारे दोस्त, साथी, बच्चे और माता-पिता डिस्लेक्सिया से पीड़ित हैं.”

बयान में कहा गया है, ये बयान ऐसे व्यक्ति ने दिया है जिन्होंने अशक्त व्यक्तियों के लिए दिव्यांग शब्द के इस्तेमाल पर जोर दिया है.

संगठन की ओर से जारी बयान में अशक्त नागरिकों को लेकर प्रधानमंत्री के रवैये पर सवाल उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री साल 2014 चुनावों के दौरान अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर निशाना साधते हुए, अंधा, गूंगा और लंगड़ा जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं.

संगठन के बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के अलावा तमाम राजनीतिक व्यक्ति समय-समय पर अपने प्रतिद्वदियों को छोटा दिखाने लिए किसी शारीरिक या मानसिक अशक्तता का मजाक बनाते रहे हैं.


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