पीएम की ‘लोन इन 59 मिनट’ योजना गुजरात के चार जिलों में फिसड्डी
छोटे, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को लोन देने की केन्द्र सरकार की योजनाएं गुजरात के कई जिलों में फिसड्डी साबित हुईं हैं. राज्य स्तरीय बैंक कमेटी (एसएलबीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक वडोदरा, गिर सोमनाथ और कच्छ जिलों में ‘लोन इन 59 मिनट’ योजना का लक्ष्य 50 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है. इन जिलों में केन्द्र सरकार की योजनाओं; ‘स्टैण्ड अप इंडिया’ और ‘मुद्रा’ योजना की स्थिति संतोषजनक नहीं है.
अनुसूचित जाति, जनजातियों और महिला उद्यमियों को आसानी से ऋण देने के लिए स्टैण्ड अप इंडिया योजना लाई गई थी.
जानकारों के मुताबिक कुछ सेक्टर में छाई मंदी और सूखे की वजह से कुछ जिलों में योजनाएं सफल नहीं हो पाई हैं. ‘पीएसबी लोन इन 59 मिनट’ योजना के तहत एमएसएमई को एक करोड़ का लोन 59 मिनट में देने का दावा किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक वडोदरा, गिर सोमनाथ और कच्छ जिलों में 50 फीसदी लक्ष्य को भी पूरा नहीं किया जा सका है.
गिर सोमनाथ, कच्छ, वडोदरा और राजकोट में ’59 मिनट लोन प्रोग्राम’ का खराब प्रदर्शन रहा है. गिर सोमनाथ में केवल 34 फीसदी लक्ष्य को पूरा किया जा सका है. जबकि राजकोट में 70 फीसदी लक्ष्य पूरा हुआ है. गिर सोमनाथ को गुजरात का खाद्य प्रसंस्करण कलस्टर माना जाता है.
एक अधिकारी बताते हैं, “यहां कई एमएसएमई लोन चाहते हैं. राजकोट में चलने वाली ढलाई से जुड़ी एमएसएमई इकाईयां घाटे में चल रही हैं. इसलिए वह लोन लेकर जोखिम उठाना नहीं चाहती हैं. जबकि हैंण्डीक्राफ्ट के लिए मशहूर कच्छ सूखे की मार झेल रहा है.”
गिर सोमनाथ में मछली के निर्यात से जुड़ी 2,962 एमएसएमई यूनिट को लोन देने का लक्ष्य रखा गया था. इनमें केवल 1,095 को योजना का लाभ मिल पाया है. कच्छ की 14,534 एमएसएमई यूनिट को लोन देने का लक्ष्य रखा गया था जिनमें केवल 6,830 को लोन मिल पाया है.
19 फरवरी को एसएलबीसी-गुजरात की 160वीं बैठक में रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, “कैंपेन को पूरा होने के लिए पहले 100 दिनों का अनुमान लगाया गया था. लेकिन कुछ जिलों में खराब प्रदर्शन के बाद इसे बढ़ाकर 28 फरवरी 2019 किया गया था.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो नवंबर, 2018 को देश के 100 जिलों में एमएसएमई के लिए समर्थन और प्रचार अभियान की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत गुजरात के नौ जिले आते हैं.
सभी योजनाओं का लाभ 2,14,616 में से 2,09,746 एमएसएमई को मिला है. लेकिन इनमें केवल नौ जिलों अमहमदाबाद, कच्छ, राजकोट, गिर सोमनाथ, भरूच, वडोदरा, बलसाड, सूरत और सुरेन्द्रनगर ही हैं. इन जिलों की बदौलत लक्ष्य को 98 फीसदी पूरा दिखाया गया है.
सुरेन्द्रनगर में लक्ष्य का 207 फीसदी, बलसाड में 164, भरुच में 126, सूरत में 164 और अहमदाबाद में 100फीसदी पूरा हुआ है. सुरेन्द्रनगर सैनिटरी कलस्टर है. जबकि सूरत पावरलूम और अहमदाबाद को प्लास्टिक उत्पादन के लिए जाना जाता है.