पंजाब : सात करोड़ के इनाम के बावजूद पराली के तकनीकी समाधान के लिए केवल एक आवेदन
पराली के तकनीकी समाधान के लिए पंजाब सरकार ने सात करोड़ रुपये की इनाम रखी थी. इसके सालभर बाद भी मात्र एक कंपनी इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए आगे आई है.
पंजाब राज्य ने कृषक और कृषि मजदूर आयोग ने पिछले साल सितंबर में एक ‘चैलेंज फंड’ (चुनौती के लिए इनाम राशि) की घोषणा की थी.
आयोग के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने बताया कि इसका मकसद पराली के किफायती और पर्यावरण अनुकूल समाधान पेश करने वाले को पुरस्कृत करना है. इसे दुनियाभर के व्यक्तियों, संगठनों, शोध संस्थानों और कंपनियों के लिए खुला रखा गया था.
हालांकि प्रतिस्पर्धा को पेश करने के सालभर बाद अभी तक मात्र एक कंपनी ही इसके लिए आगे आई है.
इस प्रतियोगिता के लिए 1.4 लाख रुपये का आवेदन शुल्क रखा गया था ताकि सही लोग ही आगे आएं और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को प्रौद्योगिकी का आकलन करने का जिम्मा दिया गया था.
जाखड़ ने कहा कि आयोग ऐसी प्रौद्योगिकी की तलाश में है जो 20 दिन से कम की अवधि में धान की पराली का निपटान कर सके.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के डीन जसकरन महल ने कहा, ”अभी मात्र एक आवेदक ही आया है.” हालाांकि उन्होंने उसके बारे में ज्यादा जानकारी साझा करने से मना कर दिया और कहा कि उन्हें अभी उत्पाद के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलने का इंतजार है.
पंजाब में 29.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. कटाई के बाद हर साल दो करोड़ टन धान की पराली बचती है. बासमती की पराली को छोड़कर बाकी सारी पराली को जला दिया जाता है, क्योंकि किसान को आलू और गेहूं की बवाई के लिए खेत को तैयार करना होता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि किसान पराली को जलाने का विकल्प इसलिए अपनाते हैं क्योंकि उससे निपटने के अन्य सभी तरीके लागत के आधार पर महंगे हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली जलाना माना जाता है.