राज्य सभा: सीपीआई सांसद की जेएनयू पर चर्चा की मांग को सभापति ने ठुकराया, हंगामे के बाद संसद स्थगित
भारी शोरगुल के बीच राज्य सभा की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. सीपीआई के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वन ने जेएनयू मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया जिसे सभापति वेंकैया नायडू ने मानने से इनकार कर दिया.
विरोध प्रदर्शन कर रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई और जम्मू कश्मीर में लगातार पाबंदियों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण राज्य सभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए. इसी बीच वाम, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कल हुई पुलिस की कथित कार्रवाई और पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से वहां लगातार जारी पाबंदियों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया.
नायडू ने कहा कि उन्हें सदस्यों के पास से तीन कार्य स्थगन नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने वे तीनों नोटिस स्वीकार नहीं किए.
नोटिस अस्वीकार किए जाने की बात सुन कर वाम सदस्यों तथा कांग्रेस सदस्यों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन उन्हें सभापति ने अनुमति नहीं दी.
इन सदस्यों के अपनी बात कहने के लिए जोर देने पर सभापति ने कहा ”आप पूरे सदन में व्यवधान उत्पन्न करेंगे। यह ऐसे मुद्दे नहीं हैं कि सदन का कामकाज रोका जाए.”
सदन में हंगामा देख नायडू ने सदस्यों को आगाह किया कि यह स्थिति जारी रहने पर उन्हें सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ेगी.
उन्होंने शून्यकाल शुरू करने का एलान किया. लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब दस मिनट पर ही बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
विपक्षी पार्टियों के नेता सभा के वेल तक पहुंचकर वी वांट जस्टिस और जवाब दो-जवाब दो के नारे लगाए.
जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने 18 नवंबर को दावा किया कि उन्होंने छात्रावास शुल्क में वृद्धि को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात कर उन्हें अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा, जिसमें कुलपति को हटाने की मांग भी शामिल है.
प्रदर्शनकारी छात्रों और शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन पर लाठियां चलाईं और प्रदर्शन स्थल से चले जाने के लिए मजबूर किया. पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत हिरासत में लिए गए करीब 100 छात्रों को शाम के समय छोड़ दिया.
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारी एम्स और सफदरजंग अस्पताल की एंबुलेंस के रास्तों को रोक रहे थे. हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि ‘लाठीचार्ज’ के सभी आरोपों की जांच की जाएगी.