आरबीआई ने रेपो रेट छह से घटाकर 5.75 फीसदी किया
जैसा कि औद्योगिक जगत में अनुमान लगाया जा रहा था, केंद्रीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट को घटा दिया है. इस दौरान केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट छह फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी करने का फैसला किया है.
ये लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कमी की है. इससे पहले घटते औद्योगिक उत्पादन और मांग में कमी के चलते आरबीआई पर रेपो रेट कम करने का लगातार दबाव बन रहा था.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक समीक्षा समिति ने अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने और विकास दर को गति देने के लिए ये कदम उठाया है.
आरबीआई ने गिरती जीडीपी वृद्धि दर को देखते हुए अपनी नीति में परिवर्तन किया है. पहले केंद्रीय बैंक अहस्तक्षेप का नीति अपना रहा था, लेकिन अब लगातार ब्याज दरों में परिवर्तन करके अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास कर रहा है.
इस मौद्रिक समीक्षा के दौरान समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी के फैसले पर अपनी सहमति जताई.
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को कम अवधि के लिए धन मुहैया कराता है.
इसके सस्ता होने से बैंकों की ब्याज दरें सस्ते होने की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ताओं की ईएमआई सस्ती होगी और उनके हाथ में ज्यादा धन बचेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, और मांग में वृद्धि होगी.