अगस्त 2016 के बाद बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
भारत में अक्टूबर महीने में बेरोजगारी की दर बढ़कर 8.5 फीसदी हो गई है. यह अगस्त 2016 के बाद से सबसे अधिक है. सितंबर महीने में बेरोजगारी की दर 7.2 फीसदी रही. सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी(सीएमआईई) की ओर से जारी डाटा से यह पता चला है.
सीएमआईई के अनुसार अगस्त में 8.4 प्रतिशत बेरोजगारी दर पिछले तीन सालों में सर्वाधिक रही.
सीएमआईई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जुलाई में 7 से 8 प्रतिशत के मुकाबले अगस्त में साप्ताहिक बेरोजगारी दर 8 से 9 प्रतिशत के बीच रही. एजेंसी ने बताया कि सितंबर 2016 के बाद से बेरोजगारी की यह दर सर्वाधिक है.
सीएमआईई के अनुसार अगस्त 2019 में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 7.8 प्रतिशत रही. एजेंसी ने बताया कि पिछले साल अगस्त के मुकाबले इस बार अगस्त में ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई. अगस्त 2019 तक ग्रामीण क्षेत्र के रोजगार में साल दर साल 2.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं शहरी क्षेत्र में इसमें 0.2 प्रतिशत की दर से कमी हुई.
बेरोजगारी दर के एक मुख्य घटक के रूप में जानी जाने वाली श्रम भागीदारी दर बहुत धीमी गति से आगे बढ़ी है. अक्टूबर 2018 के 42.46 प्रतिशत के मुकाबले अगस्त 2019 में यह 43.35 प्रतिशत रही. रिपोर्ट का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी से इसके ऊपर जो नकारात्मक प्रभाव पड़ा था, उससे यह उबर चुकी है.
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह श्रम भागीदारी दर, बेरोजगारी दर में वृद्धि के अनुरूप नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों के बीच अंतर बढ़ रहा है. ज्यादातर लोग नौकरी खोज रहे हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम को ही रोजगार मिल रहा है.
सीएमआईई का मानना है कि अगर बेरोजगारी दर इसी तरह बढ़ती रही और श्रमिकों को इसी तरह रोजगार की खराब संभावनाओं का सामना करना पड़ा तो हो सकता है कि वे श्रमिक बाजारों में ही जाना बंद कर दें.